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पर्यवेक्षण विभाग

बैंककारी विनियमन अधिनियम, 1949 की धारा 35(6) नाबार्ड को राज्य सहकारी बैंकों, जिला मध्यवर्ती सहकारी बैंकों और क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों (जिन्हें संयुक्त रूप से पर्यवेक्षित संस्थाएँ कहा जाता है) का निरीक्षण करने की शक्ति देती है. इसके आलावा, नाबार्ड स्वैच्छिक आधार पर राज्य सहकारी कृषि और ग्रामीण विकास बैंकों, शीर्ष बुनकर समितियों, विपणन महासंघों आदि का आवधिक निरीक्षण भी करता रहा है.

मूल कार्य

(i) पर्यवेक्षित संस्थाओं का सांविधिक और स्वैच्छिक निरीक्षण करना ताकि

  • पर्यवेक्षित संस्थाओं की वित्तीय सुदृढ़ता का परीक्षण किया जा सके;
  • यह परीक्षण किया जा सके कि क्या पर्यवेक्षित संस्थाएँ अपना कामकाज ऐसी रीति से कर रही हैं कि जमाकर्ताओं के हितों का संरक्षण हो;
  • यह सुनिश्चित किया जा सके कि पर्यवेक्षित संस्थाओं के व्यवसाय परिचालन में संगत कानूनों का पालन किया जाता है;
  • यह परीक्षण किया जा सके कि क्या पर्यवेक्षित संस्थाएँ भारत सरकार/ भारतीय रिज़र्व बैंक/ नाबार्ड द्वारा जारी नियमों और दिशानिर्देशों का पालन करती हैं;
  • विभाग लाइसेंस को जारी रखने/ अनुसूचीकरण के लिए और विनियामकीय कार्रवाई के लिए भारतीय रिज़र्व बैंक को अनुशंसात्मक नोट जारी कर सके.

(ii) 31 मार्च 2023 की स्थिति के अनुसार उपलब्धियाँ

2022-23 के दौरान 31 मार्च 2022 की वित्तीय स्थिति के सन्दर्भ में नाबार्ड ने 303 बैंकों का सांविधिक निरीक्षण किया. इनमें 34 राज्य सहकारी बैंक, 226 जिला मध्यवर्ती सहकारी बैंक और 43 क्षेत्रीय ग्रामीण बैंक थे. नाबार्ड ने 9 राज्य सहकारी और कृषि ग्रामीण बैंकों का स्वैच्छिक निरीक्षण भी किया.

(iii) पर्यवेक्षण बोर्ड (बीओएस)

नाबार्ड ने एक पर्यवेक्षण बोर्ड (राज्य सहकारी बैंकों, जिला मध्यवर्ती सहकारी बैंकों और क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों के लिए) गठित किया है. पर्यवेक्षण समिति निरीक्षण और पर्यवेक्षण के संबंध में नाबार्ड के निदेशक बोर्ड की एक समिति के रूप में काम करती है.

पर्यवेक्षण बोर्ड के मूल कार्य निम्नानुसार हैं:

  • पर्यवेक्षण और निरीक्षण से सम्बंधित मामलों पर निर्देश और मार्गदर्शन उपलब्ध कराना
  • निरीक्षण की गुणवत्ता की देखरेख करना
  • निरीक्षण के निष्कर्षों की समीक्षा करना और उपयुक्त उपायों के बारे में सुझाव देना
  • पर्यवेक्षण विभाग द्वारा की गई अनुवर्ती कार्रवाई की समीक्षा करना
  • उभरते पर्यवेक्षकीय मुद्दों की पहचान करना
  • पर्यवेक्षित बैंकों के कामकाज में सुधार के लिए आवश्यक अनुवर्ती सुझाव देना
  • पर्यवेक्षकीय तंत्र के सुदृढीकरण के लिए उपाय सुझाना
  • पर्यवेक्षित बैंकों को निर्देश जारी करने और उनके विरुद्ध विनियामकीय कार्रवाई के लिए भारतीय रिज़र्व बैंक को अनुशंसा करना
  • पूरक साधनों, जैसे ऑफ़-साइट निगरानी के माध्यम से जेनरेट की गई सूचना और उस पर की गई कार्रवाई की समीक्षा करना
  • नाबार्ड के निदेशक बोर्ड द्वारा पर्यवेक्षण के सन्दर्भ में सौंपे गए अन्य कार्य सम्पादित करना
  • उपर्युक्त के अतिरिक्त, नाबार्ड द्वारा किए गए निरीक्षण के आधार पर पर्यवेक्षण बोर्ड सहकारी बैंकों और क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों की वित्तीय स्थिति की आवधिक समीक्षा भी करता है. यदि निरीक्षणों में बैंक की कमजोरियाँ पाई जाती हैं तो सम्बंधित प्राधिकारियों को आवश्यक उपचारात्मक उपायों की सूचना दी जाती है. पर्यवेक्षण बोर्ड के अवलोकनों के आधार पर नाबार्ड उपयुक्त विनियामकीय कार्रवाई के विषय में भारतीय रिज़र्व बैंक को अनुशंसाएँ भी देता है.
  • नाबार्ड के समग्र पर्यवेक्षकीय कार्यों की समीक्षा करना और संरचनागत परिवर्तन सुझाना.

पर्यवेक्षण की प्रक्रिया

  • ऑन-साइट निरीक्षण: नाबार्ड राज्य सहकारी बैंकों, जिला मध्यवर्ती सहकारी बैंकों, क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों, राज्य सहकारी कृषि और ग्रामीण विकास बैंकों और अन्य राज्य-स्तरीय शीर्ष संस्थाओं का आवधिक ऑन-साइट निरीक्षण करता है. इन निरीक्षणों में बैंकों के वित्तीय, प्रबंधकीय, परिचालनात्मक पहलुओं और जोखिम प्रोफाइल पर ध्यान दिया जाता है. बाद में पर्यवेक्षित संस्थाओं द्वारा निरीक्षण के निष्कर्षों का अनुपालन सुनिश्चित करवाने के लिए नाबार्ड द्वारा अनुवर्ती कार्रवाई की जाती है.
  • ऑफ़-साइट निगरानी (ओएसएस): ऑफ़-साइट निगरानी की शुरुआत ऑन-साइट निरीक्षण के पूरक साधन के रूप में की गई है. ओएसएस का उद्देश्य पर्यवेक्षित संस्थाओं से महत्वपूर्ण डाटा प्राप्त कर उनका विश्लेषण करना है ताकि उनके कामकाज में पर्यवेक्षीय चिंता के क्षेत्रों की पहचान की जा सके. ओएसएस विवरणियों के विश्लेषण के आधार पर जोखिम की सम्भावना वाले उन क्षेत्रों के विषय में पूर्व-चेतावनी संकेत जारी किया जाता है जिनमें बैंकों द्वारा आगे कार्रवाई करना अपेक्षित हो.
  • अनुपूरक मूल्यांकन/ पोर्टफोलियो अध्ययन: ये गतिविधियाँ नियमित ऑन-साइट निरीक्षणों/ ऑफ़-साइट निगरानी की अनुपूर्ति करती हैं और तभी की जाती हैं जब ऑन-साइट निरीक्षणों/ ऑफ़-साइट निगरानी से संभावित समस्याओं के विशिष्ट संकेत मिलते हैं.
  • ऋण अनुप्रवर्तन व्यवस्था (सीएमए): सीएमए के अंतर्गत विनिर्दिष्ट मामलों में निरंतर आधार पर सहकारी बैंकों के सेक्टर-वार और इकाई-वार एक्स्पोज़र (प्रदत्त ऋण) का अनुप्रवर्तन किया जाता है ताकि वे संभावित संकेन्द्रण जोखिम से बच सके.
  • धोखाधड़ी और दुर्विनियोजन का अनुप्रवर्तन: पर्यवेक्षित संस्थाओं द्वारा केंद्रीकृत धोखाधड़ी अनुप्रवर्तन कक्ष (सीएफएमसी) को प्रस्तुत आवधिक रिपोर्टों के आधार पर नाबार्ड धोखाधड़ी और दुर्विनियोजन/ सेंधमारी/ डकैती के मामलों का अनुप्रवर्तन करता है.
  • शिकायतें और परिवाद: पर्यवेक्षित संस्थाओं के विरुद्ध प्राप्त शिकायतों और परिवादों के निवारण का नाबार्ड अनुप्रवर्तन और अनुवर्ती कार्रवाई करता है.

उपलब्धियाँ (31 मार्च 2023 की स्थिति के अनुसार)

(i) भारतीय रिज़र्व बैंक ने 348 जिला मध्यवर्ती सहकारी बैंकों (351 में से) और 33 राज्य सहकारी बैंकों (34 में से) को लाइसेंस जारी किए हैं. केवल जम्मू और कश्मीर संघ राज्य क्षेत्र के 3 जिला मध्यवर्ती सहकारी बैंकों एवं दमन और दीव राज्य सहकारी बैंक को लाइसेंस मिलना बाकी है. नाबार्ड ने इन बैंकों के पर्याप्त पूँजीकरण के लिए कदम उठाए हैं ताकि ये बैंकिंग लाइसेंस के लिए पात्र हो सकें.

(ii) नाबार्ड ने सांविधिक लेखापरीक्षाओं और निरीक्षणों की गुणवत्ता और प्रभावोत्पादकता में सुधार के लिए अनेक कार्यशालाओं का आयोजन किया है.

(iii) समिति:

क. श्री आर अमलोरपवनाथन, पूर्व उप प्रबंध निदेशक की अध्यक्षता में जोखिम-आधारित पर्यवेक्षण पर एक कार्य समूह गठित किया गया जिसने मार्च 2020 में अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत की. वर्तमान कैमेलसेक पद्धति के स्थान पर जोखिम-आधारित पर्यवेक्षण पद्धति अपनाने में नाबार्ड और पर्यवेक्षित संस्थाओं के सामने आ रही समस्याओं को ध्यान में रखते हुए समिति ने एक अंतरिम पद्धति अर्थात् जोखिम-आधारित कैमेलसेक पद्धति अथवा वर्धित कैमेलसेक पद्धति अपनाने की अनुशंसा की. नाबार्ड ने इस दिशा में आरंभिक कदम उठाए हैं और 01 अप्रैल 2023 से 194 पर्यवेक्षित संस्थाओं (43 क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों, 24 अनुसूचित राज्य सहकारी बैंकों, 07 गैर-अनुसूचित राज्य सहकारी बैंकों और 120 जिला मध्यवर्ती सहकारी बैंकों) के लिए वर्धित कैमेलसेक पद्धति शुरू की है.

ख. त्रिस्तरीय अल्पावधि सहकारी ऋण संरचना की संगति, प्रयोज्यता और प्रतिधारण पर समिति: सहकारिता मंत्रालय, भारत सरकार ने दिनांक 06 जुलाई 2022 के पत्र सं. आर -11017/22/2021 आर. एल एंड एम के माध्यम से उपर्युक्त विषय पर अध्ययन करने के लिए नाबार्ड के अध्यक्ष श्री शाजी के वी की अध्यक्षता में एक समिति गठित की है, जिसके सदस्य हैं नैफ्सकॉब के प्रबंध निदेशक, एनसीसीटी के सचिव और भारतीय रिज़र्व बैंक के केन्द्रीय बोर्ड के निदेशक श्री सतीश मराठे. नाबार्ड के मुख्य महाप्रबंधक इस विशेषज्ञ समिति के सदस्य-सचिव हैं. अध्ययन रिपोर्ट को अंतिम रूप दिया जा रहा है.

ग. जोखिम भार के पुनरीक्षण और अपेक्षाकृत सुदृढ़ क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों को बेसेल III मानदंडों के अंतर्गत लाने के सकारात्मक और नकारात्मक पहलुओं पर समिति: वित्त मंत्रालय, भारत सरकार ने दिनांक 30 सितम्बर 2022 के पत्र सं. 7/11/2022-आरआरबी के माध्यम से उपर्युक्त विषय पर अध्ययन करने के लिए नाबार्ड के अध्यक्ष श्री शाजी के वी की अध्यक्षता में एक समिति गठित की है जिसमें 07 अन्य सदस्य हैं और नाबार्ड के मुख्य महाप्रबंधक इस समिति के संयोजक हैं.

उक्त समिति के विचारार्थ विषय हैं:

  • क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों द्वारा मंजूर ऋणों के जोखिम भार के पुनरीक्षण के विषय का परीक्षण करना
  • अपेक्षाकृत सुदृढ़ क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों को बेसेल III मानदंडों के अंतर्गत लाने के सकारात्मक और नकारात्मक पहलुओं की समीक्षा करना.

रिपोर्ट फरवरी 2023 में भारत सरकार को प्रस्तुत कर दी गई है.

(iv) नाबार्ड ने पर्यवेक्षित संस्थाओं के लिए विभिन्न विषयों, जैसे साइबर सुरक्षा और धोखाधड़ी की रोकथाम, निवेश और ट्रेजरी प्रबंधन पर उन्नत कार्यक्रम, ग्रामीण सहकारी बैंकों के लिए जोखिम प्रबंधन, आस्ति देयता प्रबंधन और अनर्जक आस्ति वसूली प्रबंधन आदि पर संवेदीकरण कार्यशालाओं का आयोजन किया है.

(v) नाबार्ड ने पर्यवेक्षित संस्थाओं के लिए वल्नरेबिलिटी इंडेक्स फॉर साइबर सिक्योरिटी (विक्स) नामक एक आत्म-मूल्यांकन टूल शुरू किया है. बैंकों के डिजिटल स्तर और भुगतान प्रणालियों से उनके पारस्परिक जुड़ाव के आधार पर उन्हें चार स्तरों में श्रेणीकृत किया गया है.

(vi) नाबार्ड ने पर्यवेक्षित संस्थाओं के लिए फ्रॉड वल्नरेबिलिटी इंडेक्स (विन्फ्रा) नामक एक आत्म-मूल्यांकन टूल शुरू किया है ताकि वे धोखाधड़ी प्रबंधन दिशानिर्देशों के अनुपालन का मापन कर सकें और साथ ही ऐसी घटनाओं का शिकार होने को लेकर उन्हें संवेदीकृत किया जा सके.

(vii) क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों और ग्रामीण सहकारी बैंकों के लिए मैट्रिक्स ऑफ़ पॉलिसीज़ शुरू किया गया ताकि बैंकों की विभिन्न नीतियों के कार्यान्वयन की स्थिति का सतत अनुप्रवर्तन सुनिश्चित किया जा सके. साथ ही बैंकों को यह भी सूचित किया गया कि वे प्रत्येक नीति के कार्यान्वयन की समीक्षा करें, जहाँ भी आवश्यक हो, आवश्यक कार्रवाई करें और निर्धारित समय सीमा के भीतर अर्धवार्षिक आधार पर स्थिति को अद्यतन करें.

(viii) 'अग्रसक्रिय पर्यवेक्षण’ का आरम्भ 2020 में किया गया जिसके अंतर्गत पहचाने गए मानदंडों/ त्रुटियों में सुधार लाने के लिए नाबार्ड की पर्यवेक्षित संस्थाओं के मुख्य कार्यपालक अधिकारियों के साथ निरंतर संपर्क की परिकल्पना की गई है. इसका उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि पर्यवेक्षक (नाबार्ड) अपने द्वारा पर्यवेक्षित संस्थाओं के साथ नियमित रूप से निकट संपर्क बनाए रखे ताकि बार-बार हो रही त्रुटियों और पिछले निरीक्षण में किए गए प्रेक्षणों पर पर्यवेक्षित संस्था द्वारा प्रस्तुत किए गए अनुपालन और पर्यवेक्षकीय चिंता का कारण बनने वाले किसी अन्य मुद्दे में सुधार की प्रगति का विनिश्चय किया जा सके.

(ix) नाबार्ड ने ऐसी 10 रिपोर्ट करने वाली संस्थाओं की पहचान की है जिन्हें एफएटीएफ म्युचुअल इवैल्युएशन (एमई) का सामना करना है. नाबार्ड द्वारा पर्यवेक्षित संस्थाओं के संबंध में एफएटीएफ को राष्ट्रीय जोखिम आकलन रिपोर्ट पर जानकारी उपलब्ध कराई गई. नाबार्ड-पर्यवेक्षित संस्थाओं के लिए केवाईसी/ एएमएल/ सीएफटी दिशानिर्देशों के अनुपालन पर नियमित रूप से कार्यशालाओं का आयोजन किया गया.

(x) नाबार्ड ने वर्धित कैमेलसेक कार्यक्रम के एक भाग के रूप में ऋण जोखिम, बाजार जोखिम और तरलता जोखिम के लिए दबाव परीक्षण टूल्स पर मार्गदर्शक नोट और टेम्पलेट तैयार किए हैं.

(xi) दिसंबर 2018 में स्थापित, सीएसआईटीई सेल अपनी पर्यवेक्षित संस्थाओं यानी क्षेग्राबैंक और आरसीबी के साइबर सुरक्षा ढांचे के कार्यान्वयन की देखरेख करता है। सेल साइबर सुरक्षा पहलुओं पर परिपत्र और दिशानिर्देश जारी करता है और सरकार और नियामक दिशानिर्देशों के संबंध में साइबर सुरक्षा अनुपालन की निगरानी करता है। यह पर्यवेक्षित संस्थाओं के बीच विभिन्न संस्थाओं से प्राप्त साइबर सुरक्षा खतरे की खुफिया जानकारी, अलर्ट और सलाह का प्रसार करता है और पर्यवेक्षित संस्थाओं द्वारा रिपोर्ट की गई साइबर घटनाओं के मूल कारण का विश्लेषण करता है। सेल ने वित्त वर्ष 2022-23 में कुल 18 सत्रों में पर्यवेक्षित संस्थाओं और क्षेत्रीय कार्यालयों के लिए साइबर सुरक्षा कार्यशालाएं आयोजित कीं और इसी अवधि के दौरान 10 आईटी परीक्षाएं आयोजित कीं।

संपर्क विवरण

श्री सुधीर के रॉय
मुख्य महाप्रबंधक
चौथी मंजिल, 'ए' विंग, सी-24, 'जी' ब्लॉक,
बांद्रा-कुर्ला कॉम्प्लेक्स, बांद्रा (पूर्व)
मुंबई - 400 051
टेली: (91) 022-26530017
ई-मेल पता: dos@nabard.org

आरटीआई के अंतर्गत सूचना – धारा 4(1)(बी)

नाबार्ड प्रधान कार्यालय