मुगल काल में आगरा में चमड़े के जूते बनाने का उद्योग फला-फूला जो आज भारत के चर्म-बाजार के एक बड़े हिस्से पर काबिज है. भारत में जूतों के निर्माण का सबसे बड़ा क्लस्टर इस ऐतिहासिक शहर में ही है.
कलारूप
मृत जानवरों से प्राप्त खाल के चर्मशोधन (टैनिंग) के कार्य में सबसे पहले अवांछित पदार्थों को हटाया जाता है और फिर टैनिन का उपयोग किया जाता है. कच्ची खाल को पहले नमक के घोल में डुबाया जाता है ताकि गीली खाल सड़ न जाए. इसके बाद कुछ खास पेड़ों की छाल के मिश्रण में खाल को डुबोकर निकाला जाता है जिससे खाल के चमड़े में परिवर्तित होने की प्रक्रिया में मदद मिलती है. खुरों को काट देने के बाद चमड़ा अंतिम उत्पाद के लिए तैयार होता है जिसे आकर्षक और जलरोधी दिखाई देने के लिए पॉलिश किया जाता है.
जीआई टैग
इस प्राचीन शिल्प को 2023 में जीआई टैग प्रदान किया गया.