मुजफ्फरनगर गुड़ (जैगरी) के निर्माण के लिए सर्वोत्कृष्ट गुणवत्ता वाले प्राकृतिक गन्ने के रस को सांद्र किया जाता है. भारत का सबसे बड़ा जैगरी बाजार मुजफ्फरनगर में स्थित है. देश में मिठास के जितने ग्रामीण साधनों का उत्पादन होता है, उनमें लगभग 20 प्रतिशत हिस्सा मुजफ्फरनगर में बनता है. गुड़ को बहुत लोग शुभ भी मानते हैं.
उत्पाद
उबालने के पहले गन्ने के रस को सीमेंट के टैंक में एकत्रित किया जाता है. फिर एक निकास-नाली के माध्यम से रस को भट्ठी के अंतिम सिरे पर एक कड़ाह तक पहुँचाया जाता है. इसके बाद रस को दूसरे कड़ाह में डाला जाता है और आवश्यक तापक्रम पर पहुँचने के पहले उसे शोधित किया जाता है.
गुड़ को साफ करने के लिए जंगली भिंडी के डंठल से बने एक घोल का उपयोग किया जाता है जिसे स्थानीय भाषा में सुखलई (Abelmoschus spp.) कहते हैं. वांछित सुनहरे रंग के लिए प्रसंस्करण के दौरान रसायनों का उपयोग किया जाता है. जब साफ चाशनी की सांद्रता में अपेक्षित निरन्तरता आ जाती है यानी जब तार बनने लगता है तो उसे दूसरे कड़ाह में डाला जाता है जिसे सीधे भट्ठी के मुँह पर रखा जाता है. इसके साथ सांद्रीकरण की प्रक्रिया पूरी होती है. इसके बाद अर्ध-ठोस उत्पाद को एक चौरस प्लेटफॉर्म पर रखा जाता है जिसे चाक कहते हैं. ठंडा होने के बाद गुड़ के रंग को बेहतर करने के लिए अल्प मात्रा में फिटकरी (जिसे ऐलम भी कहते हैं) मिलाई जाती है. लसलसे पदार्थ को लड्डू आदि विभिन्न आकार दिए जाते हैं और फिर उसे सुखाया जाता है.
जीआई टैग
मुजफ्फरनगर गुड़ (जैगरी) को 2023 में जीआई टैग दिया गया.