अपने विशिष्ट स्वाद और सुगंध के कारण रामबन का सफेद शहद इस क्षेत्र का खजाना है. सुलाई शहद के नाम से लोकप्रिय यह शहद अत्यधिक पोषणयुक्त होने के साथ-साथ प्रबल एंटीऑक्सीडेंट और इम्यूनो-मॉड्यूलेटरी क्षमताओं से युक्त है. मधुमक्खियाँ अगस्त से अक्टूबर के महीने के दौरान सुलाई के बर्फ-से सफेद फूलों का रस लेती हैं और फूलों के सूक्ष्म गंध-स्वाद से युक्त प्राकृतिक रूप से मधुर शहद का उत्पादन करती हैं.
उत्पाद
अगस्त-अक्टूबर के दौरान, मुख्य रूप से रामबन जिले के बनिहाल ब्लॉक में सुलाई शहद इकट्ठा किया जाता है. इसे बबूल शहद भी कहा जाता है क्योंकि यह इस क्षेत्र में पैदा होने वाले बबूल के फूलों का रस लेने वाली मधुमक्खियों (एपिस मेलिफेरा) द्वारा बनाया जाता है. जंगली वनस्पतियाँ शहद को एक अनोखा स्वाद और बनावट देती हैं. मध्यम लसलसेपन के साथ हल्का सुनहरा रंग, सुगंध और स्वाद कश्मीर के वन क्षेत्र की सुलाई वनस्पतियों की याद दिलाता है.
जीआई टैग
नाबार्ड के सहयोग से इस अनूठे शहद को 2021 में जीआई टैग प्रदान किया गया.