सांगानेरी हैंड ब्लॉक छपाई वाले वस्त्र का इतिहास लगभग 500 वर्ष पुराना है. बहुरंगी मनभावन पुष्प आकृतियाँ इस वस्त्र को अन्य वस्त्रों से विशिष्ट बनाती हैं. परंपरा से, सांगानेरी कलाकारों की निपुणता और कपड़े की सतह पर उपलब्ध स्थान और शैली-योजना की उनकी गहरी समझ उनके डिजाइनों को बेजोड़ बनाती है.
कलारूप
परंपरागत रूप से, जयपुर बूटी को एक छोटे लकड़ी के ब्लॉक में किसी जानवर या फूल के आकार में उकेरा जाता था. फिर गद्दीदार पट्टे पर फैलाए ऐसे वस्त्रखंड पर सटीक गणना के साथ एक निश्चित अंतराल पर मुद्रित किया जाता था, जिसपर नक्काशीदार ब्लॉक को दबाने के बाद उसे वनस्पति डाई में रंगा जा चुका हो. जब एक ही प्रक्रिया को विभिन्न ब्लॉकों और रंगों का उपयोग करते हुए बार-बार किया जाता था तो चकित कर देने वाली नियमितता के साथ शानदार डिजाइन सामने आता था. पिछले कुछ वर्षों में, इस पारंपरिक हैंड ब्लॉक छपाई प्रक्रिया में कोई खास बदलाव नहीं आया है.
जीआई टैग
वस्त्र सज्जा की इस सुंदर शैली को 2009 में ही जीआई टैग प्राप्त हुआ.