ग्वालियर (मध्य प्रदेश) के हस्तनिर्मित कालीन सूक्ष्म कारीगरी के नमूने हैं और ऐश-ओ-आराम के प्रतीक हैं. इन कालीनों में फूलों, पत्तियों और अन्य डिजाइनों में प्रकृति से प्रेरित विविध अभिप्रायों को विशिष्ट अभिव्यक्ति मिलती है.
कला
हाथ से गलीचे (कालीन) की बुनाई हुनर का काम है और इस काम में बहुत समय लगता है. अंतिम उत्पाद की गुणवत्ता और उसकी कीमत इस बात पर निर्भर करती है कि प्रति वर्ग इंच गाँठों की संख्या कितनी है. इन हस्तनिर्मित कालीनों के निर्माण में सालों की कड़ी मेहनत और लगन लगती है, क्योंकि यह कार्य काफी जटिल होता है और छोटी से छोटी बात का सूक्ष्मता से ध्यान रखना होता है. इसका परिणाम यह होता है कि इस तरह बने कालीन लाजवाब और बहुत टिकाऊ होते हैं. हाथ से बुने इन कालीनों का टिकाऊपन इस बात पर निर्भर करता है कि गाँठें कितनी कसी हुई हैं, निर्माण-सामग्री कितनी महीन है, लचीलापन कितना है और गुणवत्ता कैसी है.
जीआई टैग
इस परंपरा और कला के संरक्षण को जारी रखने के उद्देश्य से नाबार्ड के प्रयासों से इस कला को जीआई के अंतर्गत मान्यता मिली.