गोंड आदिवासी समुदाय मध्य भारत के सबसे बड़े देशज समुदायों में से एक है और उनकी कला अपने अस्तित्व को बचाए रखने के लिए निरंतर जारी संघर्ष को प्रतिबिंबित करती है। अनूठी शैलियाँ इस आदिवासी कलारूप की बुनियाद हैं और वे पृष्ठीय अलंकरण शैलियों तथा आकृतियों से अविभाज्य रूप से जुड़ी हुई हैं।
कलारूप
"सुंदर आकृतियों के दर्शन से सौभाग्य जगता है" यह विश्वास गोंड कला में परिलक्षित होता है। गोंड लोगों में अंतर्निहित इस भरोसे ने ही उन्हें अपने घरों और फर्श को पारंपरिक टैटुओं और डिजाइनों से सजाने को प्रेरित किया। लेकिन तभी से गुणी कलाकारों ने अपनी कुशलता प्रदर्शित करते हुए गोंडी कला को कैनवास और कागज पर उकेरा है।
जीआई टैग
इस कला को 2023 में जीआई टैग के साथ मान्यता दी गई।