महोबा की उत्कृष्ट गौरा पत्थर कला पूरे देश में प्रसिद्ध है. गौरा प्रस्तरशिल्प में प्रयुक्त चमकदार सफेद पत्थर मुख्यत: इस इलाके में पाया जाता है. अपनी मुलायम बनावट के कारण गौरा पत्थर की चट्टान के अनेक खंड बनाकर उनसे विभिन्न प्रकार की सजावटी वस्तुएँ गढ़ी जाती हैं.
कलारूप
केवल गौराहरि गाँव में पाया जाने वाला गौरा पत्थर एक चमकदार प्राकृतिक पत्थर है. हथौड़े और छेनी का इस्तेमाल करते हुए पत्थर को सावधानीपूर्वक वांछित आकार-प्रकार में काटा जाता है और पत्थर के टुकड़ों का रासायनिक उपचार किया जाता है और उत्कीर्णन के पहले पूरी रात खौलते पानी में रखा जाता है. शिल्पकार पत्थर को तराश कर मूर्ति बनाने के पहले उसकी आरंभिक आकृति उकेरता है. मूर्ति को अंतिम रूप देने के लिए पॉलिश करने हेतु रेत या कारबरंडम का प्रयोग किया जाता है.
जीआई टैग
महोबा गौरा प्रस्तर शिल्प को 2023 में जीआई टैग दिया गया.