तांगसा वस्त्र में अरुणाचल प्रदेश के समृद्ध चित्रपट कला को समारोहपूर्वक प्रदर्शित किया जाता है। चांगलाँग जिले की तांगसा जनजाति ने इस पारंपरिक तकनीक को सुरक्षित रखने में सफलता पाई है। इस तकनीक का सांस्कृतिक महत्त्व है। बुनाई इस जनजाति की संस्कृति का मूल तत्त्व है, जिसके माध्यम से इस जनजाति के लोग अपनी कुल-परंपरा को प्रदर्शित करते हैं और इसमें विभिन्न उप-जनजातियों की अनूठी शैलियाँ प्रतिबिंबित होती हैं।
कलारूप
जातीय पहचान, सांस्कृतिक रीति-रिवाज और सामाजिक-आर्थिक स्थितियाँ – ये सभी बुनाई के साथ जुड़े होते हैं। तांगसा महिलाएँ जो कि अधिकांशत: बुनकर होती हैं, कटि करघे (लोइन लूम) और प्राकृतिक रंगों का प्रयोग करती हैं जिससे पता चलता है कि वे पर्यावरण की गहरी समझ रखती हैं। अपने जटिल रूपाकार, प्राकृतिक रंगों के उपयोग और आस-पास के वातावरण से निकट संबंध के कारण तांगसा वस्त्र की अत्यधिक प्रतिष्ठा है। लड़कियाँ इस तकनीक को अपनी बड़ी-बुजुर्ग महिलाओं से सीखती हैं, जो अपनी सांस्कृतिक विरासत को संरक्षित रखने के प्रति उनके समर्पण का प्रमाण है।
जीआई टैग
इस अनूठी वस्त्रकला को 2023 में जीआई के अंतर्गत मान्यता प्रदान की गई।