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पुनर्वित्त विभाग

भारतीय रिज़र्व बैंक ने कृषि विकास की निवेश ऋण आवश्यकताओं की पूर्ति में सहयोग के लिए मध्यावधि और दीर्घावधि कृषि ऋण उपलब्ध कराने हेतु पुनर्वित्त एजेंसी के रूप में काम करने के लिए 1963 में कृषिक पुनर्वित्त निगम (एआरसी) की स्थापना की. 1975 में कृषि क्षेत्र में ऋण के उद्ग्रहण, कृषि क्षेत्र के विकास और संवर्धन पर विशेष रूप से ध्यान केन्द्रित करने के लिए कृषिक पुनर्वित्त निगम को नया नाम कृषिक पुनर्वित्त और विकास निगम (एआरडीसी) दिया गया.

1982 में नाबार्ड की स्थापना के बाद भारतीय रिज़र्व बैंक के कृषि ऋण विभाग (एसीडी) तथा ग्रामीण आयोजना और ऋण कक्ष (आरपीसीसी) के कार्य एवं कृषिक पुनर्वित्त और विकास निगम (एआरडीसी) के कार्य नाबार्ड ने ग्रहण कर लिए.

नाबार्ड के अल्पावधि और दीर्घावधि पुनर्वित्त कार्य पुनर्वित्त विभाग (डीओआर) द्वारा सम्पादित किए जाते हैं.

पुनर्वित्त विभाग के मूल कार्य

पुनर्वित्त विभाग मुख्यत: निम्नलिखित कार्य करता है:

  • खाद्य सुरक्षा में योगदान करने वाली उत्पादन ऋण गतिविधियों के लिए अल्पावधि पुनर्वित्त
  • कृषि में निजी क्षेत्र पूँजी निर्माण को बल देने के लिए निवेश ऋण गतिविधियों हेतु मध्यावधि और दीर्घावधि पुनर्वित्त
  • विभाग भारत सरकार की विभिन्न योजनाओं के लिए सब्सिडी हेतु माध्यम एजेंसी के रूप में भी कार्य करता है.
अ. अल्पावधि (एसटी) पुनर्वित्त

नाबार्ड उत्पादन, विपणन और क्रय गतिविधियों के लिए सहकारी बैंकों और क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों को पुनर्वित्त के रूप में ऋण और अग्रिम देता है जिसकी चुकौती 12 माह से अनधिक की निर्धारित अवधि के समापन पर की जानी होती है. अल्पावधि पुनर्वित्त के प्रावधान का मूल उद्देश्य बैंकों के संसाधनों की अनुपूर्ति करना और आधार-स्तरीय ऋण-प्रवाह में सुधार लाना है. इन गतिविधियों में निम्नलिखित शामिल हैं:

  • मौसमी कृषि परिचालनों के लिए अल्पावधि पुनर्वित्त – एसटी-एसएओ: इस उत्पाद के अंतर्गत अनुसूचित वाणिज्यिक बैंकों के प्राथमिकता क्षेत्र ऋणीकरण में कमी की राशि से भारतीय रिज़र्व बैंक से प्राप्त अल्पावधि सहकारी ग्रामीण ऋण निधि (एसटीसीआरसीएफ) के माध्यम से राज्य सहकारी बैंकों को और अल्पावधि क्षेत्रीय ग्रामीण बैंक (पुनर्वित्त) निधि (एसटीआरआरबीएफ) के माध्यम से क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों को रियायती पुनर्वित्त उपलब्ध है.
  • अतिरिक्त एसटी (एसएओ):
    आधार-स्तरीय ऋण के लिए बढ़ी हुई माँग, जमाराशियों के कम होने, और भारतीय रिजर्व बैंक/ भारत सरकार से एतदर्थ निधियों की प्राप्ति को ऑफसेट करने आदि के कारण तरलता की बाधाओं को दूर करने के लिए सामान्य एसटी (एसएओ) सीमा से ऊपर की राशि के लिए बाजार से ली जाने वाली उधारियों से मौसमी कृषि परिचालनों के लिए अल्पावधि पुनर्वित्त उपलब्ध कराया जाता है. 2020-21 से लघु वित्त बैंक (एसएफबी) भी अतिरिक्त एसटी (एसएओ) के अंतर्गत पुनर्वित्त प्राप्त करने के लिए पात्र हैं.
  • अल्पावधि (अन्य):
    इस योजना के अंतर्गत राज्य सहकारी बैंकों, क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों और लघु वित्त बैंकों को मौसमी कृषि परिचालनों से इतर प्रयोजनों के लिए अल्पावधि पुनर्वित्त उपलब्ध कराया जाता है, जैसे ग्रामीण विपणन, मात्स्यिकी, सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यमों (एमएसएमई) के लिए कार्यशील पूँजी, सामाजिक आधारभूत संरचना परियोजनाएँ आदि. राज्य सहकारी बैंकों को उन अग्रिमों के समक्ष भी पुनर्वित्त दिया जाता है जो उर्वरकों/ कृषि निविष्टियों की खरीद, उनका स्टॉक रखने और वितरण के लिए, और वास्तविक वाणिज्यिक या व्यापारिक लेनदेनों के वित्तपोषण के लिए दिए गए हों.
    2020-21 से लघु वित्त बैंक (एसएफबी) भी अल्पावधि (अन्य) के अंतर्गत पुनर्वित्त प्राप्त करने के लिए पात्र हैं.
  • बुनकरों को उधार देने के लिए अनुसूचित वाणिज्यिक बैंकों, राज्य सहकारी बैंकों और क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों को अल्पावधि (बुनकर) पुनर्वित्त

आ. दीर्घावधि पुनर्वित्त

नाबार्ड के दीर्घावधि पुनर्वित्त के अंतर्गत निवेश ऋण पर बल दिया जाता है जिससे आस्ति सृजन के माध्यम से पूँजी निर्माण होता है और फार्म तथा ऑफ-फार्म गतिविधियों को सहयोग के माध्यम से ग्रामीण और अर्ध-शहरी क्षेत्रों में वैकल्पिक रोजगार के अवसरों को बढ़ावा मिलता है.

नाबार्ड किसानों और ग्रामीण कारीगरों की निवेश गतिविधियों को सहायता देने के लिए निम्नलिखित संस्थाओं को दीर्घावधि पुनर्वित्त उपलब्ध कराता है ताकि इन संस्थाओं के अपने संसाधनों की अनुपूर्ति की जा सके:

  • अनुसूचित वाणिज्यिक बैंक
  • क्षेत्रीय ग्रामीण बैंक
  • राज्य सहकारी बैंक
  • जिला मध्यवर्ती सहकारी बैंक
  • राज्य सहकारी कृषि और ग्रामीण विकास बैंक
  • प्राथमिक शहरी सहकारी बैंक
  • नाबार्ड की सहायक संस्थाएँ
  • गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियाँ (एनबीएफसी)
  • गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियाँ – सूक्ष्म वित्त संस्थाएँ (एनबीएफसी – एमएफआई)
  • लघु वित्त बैंक (एसएफबी)

गतिविधियों में फार्म और ऑफ-फार्म दोनो सेक्टरों की गतिविधियाँ शामिल हैं. पुनर्वित्त की अवधि 18 महीने और उससे अधिक

कृषि में निवेश ऋण को गति देने के लिए भारत सरकार ने प्राथमिकता क्षेत्र ऋणीकरण में अनुसूचित वाणिज्यिक बैंकों की कमी की राशि से नाबार्ड में ‘दीर्घावधि ग्रामीण ऋण निधि’ सृजित की ताकि ग्रामीण सहकारी बैंकों और क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों को उनके द्वारा कृषि गतिविधियों के लिए प्रदत्त सावधि ऋणों के समक्ष उन्हें रियायती दर पर पुनर्वित्त सहायता दी जा सके.

इ. मध्यावधि परिवर्तन

नाबार्ड राज्य सहकारी बैंकों और क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों को मौसमी कृषि परिचालनों के वित्तपोषण के लिए दिए गए अल्पावधि फसल ऋणों के परिवर्तन के लिए मध्यावधि ऋण सीमाएँ उपलब्ध कराता है ताकि ऐसे किसानों को राहत दी जा सके जिनकी फसल प्राकृतिक आपदाओं के कारण क्षतिग्रस्त हो गई हो.

ई. राज्य सरकारों को दीर्घावधि ऋण

नाबार्ड सहकारी ऋण संस्थाओं की शेयर पूँजी में अंशदान के लिए राज्य सरकारों को दीर्घावधि ऋण उपलब्ध कराता है. इस पुनर्वित्त-आधारित सहायता का लक्ष्य कृषि ऋण आवश्यकताओं की पूर्ति के लिए बृहत्तर ऋणीकरण कार्यक्रम हेतु इन सहकारी संस्थाओं को प्रोत्साहित करना है.

उ. किसान क्रेडिट कार्ड

किसानों की उत्पादन ऋण आवश्यकताओं को समय पर और झंझट-रहित तरीके से पूरा करने के लिए भारत सरकार ने 1998-99 में किसान क्रेडिट कार्ड (केसीसी) योजना शुरू की. योजना को 2004 में किसानों की निवेश ऋण आवश्यकताओं अर्थात् अनुषंगी और ऑफ़-फ़ार्म गतिविधियों के लिए आगे बढ़ाया गया.

2013 में यथा-संशोधित किसान क्रेडिट कार्ड योजना का लक्ष्य किसानों की खेती और नीचे निर्दिष्ट अन्य आवश्यकताओं के लिए लचीली और सरलीकृत कार्यविधियों के साथ एक ही विंडो से समय पर पर्याप्त ऋण सहायता उपलब्ध कराना है.

क. फसलों की खेती के लिए अल्पावधि ऋण आवश्यकताओं की पूर्ति
ख. फसलोपरांत व्यय
ग. उपज विपणन ऋण
घ. कृषक परिवार की उपभोग आवश्यकताएँ
ङ. फार्म आस्तियों के रखरखाव और कृषि की अनुषंगी गतिविधियों के लिए कार्यशील पूँजी
च. कृषि और अनुषंगी गतिविधियों के लिए निवेश ऋण आवश्यकताएँ

उपर्युक्त ‘क’ से ‘ङ’ तक के घटकों का योग अल्पावधि ऋण सीमा का हिस्सा है, और ‘च’ का घटक दीर्घावधि ऋण सीमा का हिस्सा है.

2018-19 से भारत सरकार ने पशुपालन और मात्स्यिकी के लिए किसान क्रेडिट कार्ड योजना शुरू की ताकि पशुपालकों और मत्स्य किसानों को अल्पावधि कार्यशील पूँजी ऋण दिया जा सके.

इसके अलावा, भारत सरकार ने 2021-22 से किसान क्रेडिट कार्ड के लाभ लाख, शहतूत, रेशम की खेती करने वालों और मधुमक्खीपालकों को देने की शु₹आत की है.

यह योजना पूरे देश में संस्थागत ऋण संरचना के माध्यम से कार्यान्वित की जा रही है जिसमें वाणिज्यिक बैंक, क्षेत्रीय ग्रामीण बैंक और सहकारी संस्थाएँ शामिल हैं. योजना का अनुप्रवर्तन वाणिज्यिक बैंकों के लिए भारतीय रिज़र्व द्वारा, और क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों तथा सहकारी संस्थाओं के लिए नाबार्ड द्वारा किया जाता है.

सभी पात्र किसानों को केसीसी उपलब्ध कराने का (केसीसी सैचुरेशन) अभियान

कृषि, सहकारिता और किसान कल्याण विभाग, कृषि और किसान कल्याण मंत्रालय, भारत सरकार ने 08.02.2020 को पीएम किसान सम्मान योजना के सभी लाभार्थियों को किसान क्रेडिट कार्ड के अंतर्गत लाने के लिए एक अभियान शुरू किया. अभियान के अंतर्गत अधिकतम कवरेज़ सुनिश्चित करने के लिए पर्याप्त प्रचार-प्रसार और जागरूकता अभियान चलाए गए.

केसीसी सैचुरेशन अभियान, चरण -II

सरकार ने ‘आत्मनिर्भर भारत’ पैकेज़ के एक भाग के रूप में एक विशेष अभियान के तहत ₹. 2 लाख करोड़ की ऋण राशि के साथ 2.5 करोड़ किसानों को केसीसी योजना के अंतर्गत लाने की घोषणा की. भारत सरकार के पशुपालन और डेयरिंग विभाग ने उसी दौरान दुग्ध संघों और दुग्ध उत्पादक डेयरी कंपनियों से जुड़े 1.5 करोड़ किसानों और 1 करोड़ मत्स्य किसानों को केसीसी उपलब्ध कराने के लिए एक विशेष अभियान चलाया. रियायती ऋण तक किसानों की पहुँच बनाने के लिए सभी हितधारक सम्मिलित और सतत प्रयास कर रहे हैं.

इसके अलावा, भारत सरकार ने 08 नवंबर 2021 को 1.37 करोड़ पशुपालक और मत्स्यपालक किसानों को केसीसी उपलब्ध कराने के लिए एक जिला-स्तरीय विशेष केसीसी अभियान चलाया था.

ऊ. भारत सरकार की योजनाओं के बीच संवाद

भारत सरकार द्वारा प्रायोजित अनेक योजनाओं के लिए नोडल एजेंसी के रूप में नाबार्ड विभिन्न हितधारकों के बीच संवाद स्थापित करने वाली एजेंसी की भूमिका निभाता रहा है/ निभाता है. फिलहाल निम्नलिखित योजनाएँ कार्यान्वित की जा रही हैं:

(i) पूँजी निवेश सब्सिडी योजनाएँ

1. कृषि-क्लीनिक और कृषि-व्यवसाय केंद्र
2. आईएसएएम की उप-योजना कृषि विपणन आधारभूत संरचना योजना

(ii) भारत सरकार की ब्याज सहायता योजना
  • फसल ऋणों के लिए ब्याज सहायता योजना
  • परक्राम्य भांडागार रसीद के समक्ष लघु और सीमान्त किसानों को ब्याज सहायता
  • पशुपालन और मात्स्यिकी को कार्यशील पूँजी पर ब्याज सहायता
  • दीन दयाल अंत्योदय योजना के अंतर्गत महिला स्वयं सहायता समूहों को ब्याज सहायता
  • चीनी मिलों के लिए ब्याज सहायता योजना

मोटे तौर पर राष्ट्र-स्तरीय उपलब्धियाँ

अल्पावधि पुनर्वित्त

2023-24 के दौरान ₹.1,83,152.53 करोड़ की राशि अल्पावधि पुनर्वित्त के रूप में संवितरित की गई जिसमें से ₹.65,675.67 करोड़ की राशि अल्पावधि सहकारी ग्रामीण ऋण निधि और अल्पावधि क्षेत्रीय ग्रामीण बैंक निधि के अंतर्गत रियायती पुनर्वित्त के रूप में दी गई. प्रयोजन-वार और एजेंसी-वार विवरण निम्नानुसार है:

(₹. करोड़)

प्रयोजन सहकारी बैंक क्षेत्री ग्रामीण बैंक जोड़
अल्पावधि-मौसमी कृषि परिचालन 50,517.76 15,157.91 65,675.67
अतिरिक्त अल्पावधि-मौसमी कृषि परिचालन 57,659.07 21,804.25 79,463.32
अल्पावधि-अन्य 26,108.87 11,824.88 37,933.75
लघु वित्त बैंक - - 79.79
जोड़ 134,285.70 48,787.04 183,152.53

दीर्घावधि पुनर्वित्त:

2023-24 के दौरान ₹. 1,32,486.92 करोड़ की राशि दीर्घावधि पुनर्वित्त के रूप में संवितरित की गई जिसमें से ₹. 15,154.22 करोड़ की राशि दीर्घावधि ग्रामीण ऋण निधि के अंतर्गत रियायती पुनर्वित्त के रूप में दी गई. एजेंसी-वार विवरण निम्नानुसार है:

(₹. करोड़)

2023-24 2022-23
एजेंसी संवितरण % हिस्सा संवितरण % हिस्सा
वाणिज्यिक बैंक 88,378.15 66.7% 74,928.76 70.0%
क्षेत्रीय ग्रामीण बैंक 13,460.61 10.2% 11,825.56 11.1%
राज्य सहकारी बैंक 17,113.97 12.9% 12,955.13 12.1%
राज्य सहकारी कृषि और ग्रामीण विकास बैंक 2,100.65 1.6% 2,284.77 2.1%
नैबसमृद्धि 1,019.61 0.8% 578.87 0.5%
नैबकिसान 1,479.18 1.1% 1,192.14 1.1%
नैबफिन्स 1,934.75 1.5% 1,169.51 1.1%
एनबीएफसी-एमएफआई सहित एनबीएफसी 7,000.00 5.3% 2,080.00 1.9%
राज्य सरकारें - - - -
जोड़ 132,486.92 100% 1,07,014.74 100%

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संपर्क विवरण

डॉ के एस महेश
मुख्य महाप्रबंधक
तीसरा माला, 'ए' विंग
सी-24, 'जी' ब्लॉक
बांद्रा-कुर्ला कॉम्प्लेक्स, बांद्रा (पूर्व)
मुंबई - 400 051
टेली:022-68120017
ई-मेल पता: dor@nabard.org

आरटीआई के अंतर्गत सूचना– धारा 4(1)(बी)

नाबार्ड प्रधान कार्यालय