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वित्तीय समावेशन और बैंकिंग प्रौद्योगिकी विभाग

भारतीय रिजर्व बैंक के पूर्व गवर्नर डॉ. सी रंगराजन की अध्यक्षता में गठित वित्तीय समावेशन समिति ने अपनी रिपोर्ट (2008) में वित्तीय समावेशन को इस प्रकार परिभाषित किया, “वित्तीय समावेशन अपेक्षाकृत कमजोर तबकों और कम आय वाले वर्गों जैसे समाज के असुरक्षित समूहों की वित्तीय सेवाओं तक पहुँच और जहाँ आवश्यक हो उन्हें सही समय पर वहन करने योग्य लागत पर पर्याप्त ऋण उपलब्ध कराना सुनिश्चित करने की प्रक्रिया है.”

समिति ने निर्धनों और असुरक्षित तबकों की ऋण खपत क्षमता में बेहतरी के लिए किए जाने वाले विभिन्न संवर्धनात्मक और विकासात्मक प्रयासों की लागतों की पूर्ति के लिए तथा समावेशन के अधिदेशित स्तर तक ले जाने को सुविधाजनक बनाने के लिए प्रौद्योगिकी के उपयोग के लिए दो निधियों – वित्तीय समावेशन निधि (एफआईएफ) और वित्तीय समावेशन प्रौद्योगिकी निधि (एफआईटीएफ) की स्थापना की अनुशंसा की.

जुलाई 2015 में एफआईएफ और एफआईटीएफ का परस्पर विलय कर एक ही वित्तीय समावेशन निधि (एफआईएफ) बना दी गई. इस निधि के गठन का उद्देश्य बृहत्तर वित्तीय समावेशन सुनिश्चित करने के लिए “विकासात्मक और संवर्धनात्मक गतिविधियों” को सहयोग देना है जिनमें पूरे देश में वित्तीय समावेशन के लिए आधारभूत संरचना का निर्माण करना, माँग पक्ष के मुद्दों के समाधान के लिए जागरूकता निर्माण करना, हरित सूचना और संचार प्रौद्योगिकी (आईसीटी) समाधान, अनुसंधान एवं प्रौद्योगिकी अंतरण के लिए निवेश में वृद्धि, और वित्तीय सेवाएँ देने/ लेने वालों की प्रौद्योगिकी अंगीकरण क्षमता में वृद्धि शामिल हैं.

समूह निधि और निधियों के स्रोत

प्राथमिकता क्षेत्र ऋणीकरण में कमी की राशि में से वाणिज्यिक बैंकों द्वारा ग्रामीण आधारभूत संरचना विकास निधि जमा, भांडागार आधारभूत संरचना विकास निधि जमा और खाद्य प्रसंस्करण निधि जमा के तहत नाबार्ड में जो जमराशियाँ रखी जाती हैं उनसे संबंधित 0.5% से अधिक के ब्याज अंतराल से वित्तीय समावेशन निधि में अंशदान किया जाता है. भारत सरकार की जिन योजनाओं/ प्रयासों का अनुप्रवर्तन सलाहकार बोर्ड की उप समिति द्वारा किया जाता है, उनके लिए भारत सरकार द्वारा अंशदान किया जाता है.

अभिशासन

एफआईएफ के परिचालन, कामकाज और उपयोग को भारत सरकार द्वारा एफआईएफ के लिए गठित सलाहकार बोर्ड के निर्णयों के माध्यम से अभिशासित किया जाता है. वित्तीय समावेशन की भारत सरकार द्वारा निधिकृत योजनाओं का अभिशासन सलाहकार बोर्ड की एक उप समिति द्वारा किया जाता है और उप समिति की अनुशंसाओं को सलाहकार बोर्ड के समक्ष प्रस्तुत किया जाता है.

मूल कार्य

(i) वित्तीय समावेशन

  • अलग-अलग बैंकों तथा संस्थाओं के माध्यम से विभिन्न वित्तीय साक्षरता गतिविधियों और क्षमता निर्माण प्रयासों के दायरे को व्यापकतर बनाते हुए वित्तीय समावेशन के लक्ष्य को उच्च प्राथमिकता देना वित्तीय समावेशन निधि का बल क्षेत्र है.
  • वित्तीय समावेशन पर विशेष रूप से ध्यान केंद्रित करते हुए क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों और ग्रामीण सहकारी बैंकों के स्टाफ को संवेदनशील बनाना
  • भारतीय बैंकिंग और वित्त संस्थान (आईआईबीएफ) जैसी संस्थाओं के सहयोग से बिजनेस कॉरेस्पॉण्डेन्टों (बीसी) और बिजनेस फ़ैसिलिटेटरों का प्रशिक्षण
  • वित्तीय साक्षरता केंद्रों की स्थापना और आरसेटी के सुदृढीकरण के लिए सहायता उपलब्ध कराना.

(ii) बैंकिंग प्रौद्योगिकी:

  • अपनी पहुँच में वृद्धि के लिए क्षेत्रीय ग्रामीण बैंक और सीबीएस-समर्थित ग्रामीण सहकारी बैंक आईसीटी समाधान अपनाएँ, इसके लिए उन्हें सहयोग देना
  • पूरे देश में सभी पात्र किसानों को रुपे किसान कार्ड जारी करने के लिए क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों और ग्रामीण सहकारी बैंकों को प्रोत्साहित करना
  • डिजिटल भुगतान को स्वीकार करने के लिए आधारभूत संरचना के निर्माण को सहयोग देकर ग्रामीण भारत में नकदी-रहित पारिस्थिकी विकसित करने के लक्ष्य की प्राप्ति की दिशा में काम करना
  • उपर्युक्त उद्देश्यों को प्राप्त करने के लिए विभिन्न हितधारकों के साथ मिलकर नीति निर्माण, क्षमता निर्माण और नेटवर्किंग का काम करना विभिन्न विनियामकीय प्लेटफॉर्मों पर ऑन-बोर्ड होने में क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों और ग्रामीण सहकारी बैंकों को सहयोग देना.

नाबार्ड के प्रयास

वित्तीय सेवाओं की माँग, विशेष रूप से डिजिटल प्लेटफॉर्म पर प्रस्थापित सेवाओं की माँग में वृद्धि में वित्तीय साक्षरता के महत्व को ध्यान में रखते हुए नाबार्ड ने विभिन्न प्रयासों के माध्यम से वित्तीय साक्षरता को सहयोग दिया है. इसके अलावा, नाबार्ड ने कोर बैंकिंग समाधान (सीबीएस) प्लेटफॉर्म पर क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों और ग्रामीण सहकारी बैंकों की ऑन-बोर्डिंग में सहयोग दिया है ताकि वित्तीय पारिस्थितिकी के आपूर्ति पक्ष को मजबूत बनाया जा सके. डिजिटल प्लेटफॉर्मों पर बैंकों की ऑन-बोर्डिंग, कनेक्टिविटी में सुधार और विनियामकीय अपेक्षाओं की पूर्ति के लिए भी सहयोग दिया जाता है. विभाग की कुछ प्रमुख उपलब्धियाँ निम्नानुसार हैं:

(i) सीबीएस पर कमजोर क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों की ऑन-बोर्डिंग: भारत में वित्तीय समावेशन मूल रूप से बैंकों के नेतृत्व में चलने वाला मॉडल है. एक महत्वपूर्ण कदम यह रहा कि पूर्व एफआईटीएफ के अंतर्गत वित्तीय दृष्टि से कमजोर 27 क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों को अन्य क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों के बराबर पहुँचाने के लिए उन्हें सीबीएस पर लाया गया. इससे सभी क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों को सीबीएस पर्यावरण में लाने में मदद मिली.

(ii) सीबीएस पर ग्रामीण सहकारी बैंकों की ऑन-बोर्डिंग: नाबार्ड ने सभी सहकारी बैंकों को सीबीएस प्लेटफॉर्म पर लाने को प्रोत्साहन दिया और इस प्रक्रिया में सहयोग दिया. इस दिशा में किए गए एक विशेष प्रयास का परिणाम यह हुआ कि 16 राज्यों और 03 संघ राज्य क्षेत्रों के, 6,953 शाखाओं के साथ 201 ग्रामीण सहकारी बैंकों (14 राज्य सहकारी बैंक और 187 जिला मध्यवर्ती सहकारी बैंक) ने “सहकारी बैंकों में सीबीएस के लिए नाबार्ड द्वारा शुरू की गई परियोजना” में सहभागिता की. यह प्रयास दो वेंडरों, नामतः टीसीएस और विप्रो के माध्यम से कार्यान्वित किया गया जिसमें पहली बार ग्रामीण सहकारी बैंकों के लिए क्लाउड-आधारित एप्लिकेशन सेवाप्रदाता (एएसपी) मॉडल का उपयोग किया गया.

(iii) भुगतान आधारभूत संरचना का विस्तार: भारत सरकार बहुत जोरदार ढंग से ग्रामीण क्षेत्रों में लेनदेन के डिजिटल माध्यम को बढ़ावा दे रही है.

(iv) सीबीएस-पश्चात् प्रौद्योगिकी को अपनाना: बैंकों से अपेक्षा है कि वे प्रौद्योगिकी और उत्पाद नवोन्मेष को ध्यान में रखते हुए नई वित्तीय प्रौद्योगिकियाँ अपनाएँ जिनसे बृहत्तर वित्तीय समावेशन के लिए उनकी पहुँच में वृद्धि होगी. बैंकों को नई सीबीएस-पश्चात् प्रौद्योगिकियों, जैसे भीम यूपीआई, पीएफएमएस, सीकेवाईसीआर, एईपीएस, ग्रीन पिन, भारत बिल पेमेंट सिस्टम, पॉजिटिव पे सिस्टम आदि को अपनाने के लिए सहायता दी गई है.

(v) भारत सरकार की योजनाएँ:

  • प्रधान मंत्री गरीब कल्याण योजना: ग्रामीण सहकारी बैंकों को एफआईएफ के अंतर्गत पीएफएमएस पर ऑन-बोर्डिंग के लिए अनुदान सहायता दी जाती है ताकि उनके ग्राहक विभिन्न सरकारी योजनाओं के अंतर्गत डीबीटी का लाभ उठा सकें. 2020 में महामारी की अवधि के दौरान नाबार्ड ने प्रधान मंत्री गरीब कल्याण योजना के अंतर्गत अप्रैल, मई और जून महीनों में रु.500/- प्रति माह/ महिला खाताधारक अनुग्रह राशि के अंतरण की सुविधा उपलब्ध कराई. योजना के अंतर्गत 108 ग्रामीण सहकारी बैंकों ने प्रधान मंत्री जन धन योजना के अंतर्गत 10.69 लाख महिला खातों में राशि जमा की.
  • 20 लाख भीम आधार भुगतान उपकरणों की तैनाती: इस योजना का उद्देश्य है डिजिटल लेनदेन के सहज संचालन को संभव बनाने के लिए व्यापारियों के पास भुगतान स्वीकार करने की आधारभूत संरचना में वृद्धि करना. 13,76,463 उपकरणों की तैनाती के लिए रु.10,667.46 लाख की राशि संवितरित की गई है. यह योजना 31.03.2021 से बंद कर दी गई.
  • पात्र चालू प्रधान मंत्री जन धन योजना खाता के सभी लाभार्थियों को सामाजिक सुरक्षा योजनाओं में शामिल करने की विशेष योजना • यह योजना 10 फरवरी 2022 को 28 राज्यों के 117 आकांक्षी जिलों में शुरू की गई ताकि प्रधान मंत्री जन धन योजना के अधिकतम पात्र चालू खाताधारकों को इन जिलों में सामाजिक सुरक्षा योजनाओं (प्रधान मंत्री जीवन ज्योति बीमा योजना और प्रधान मंत्री सुरक्षा बीमा योजना) में शामिल किया जा सके. 28 राज्यों के 117 आकांक्षी जिलों में कार्यरत लघु वित्त बैंकों और भुगतान बैंकों सहित सभी वाणिज्यिक बैंक, क्षेत्रीय ग्रामीण बैंक और ग्रामीण सहकारी बैंक इस योजना के अंतर्गत लाभ लेने के लिए पात्र हैं. योजना की कार्यान्वयन अवधि 31 मार्च 2023 तक बढ़ा दी गई है.

अतिरिक्त जानकारी

संपर्क विवरण

श्रीमति सुशीला चिंतला
मुख्य महाप्रबंधक
वित्तीय समावेशन और बैंकिंग प्रौद्योगिकी विभाग (डीएफआईबीटी)
चौथा माला, ‘ई’ विंग
सी-24, ‘जी’ ब्लॉक
बांद्रा-कुर्ला कॉम्प्लेक्स, बांद्रा (पूर्व)
मुंबई -400051
टेलीफोन: 022-68120045
ई-मेल पता:dfibt@nabard.org

आरटीआई के अंतर्गत सूचना – धारा 4(1)(बी)

नाबार्ड प्रधान कार्यालय