पृष्ठभूमि
माननीय वित्त मंत्री ने 2022-23 के बजट भाषण में घोषणा की कि, “सह-निवेश मॉडल के तहत जुटाई गई मिश्रित पूंजी के साथ एक निधि की व्यवस्था की जाएगी, जिसे नाबार्ड के माध्यम से सुगम बानाया जाएगा. इसका उद्देश्य कृषि और ग्रामीण उद्यम के लिए स्टार्ट-अप को वित्तपोषित करने के लिए होगा, जो कृषि उपज मूल्य श्रृंखला से संबंधित है. इन स्टार्ट-अप्स की गतिविधियों में अन्य बातों के अलावा, एफपीओ के लिए सहयोग, खेत स्तर पर किसानों के लिए किराये के आधार पर मशीनरी और आईटी-आधारित समर्थन सहित प्रौद्योगिकी शामिल होगी.
इस पृष्ठभूमि में, कृषि और संबद्ध क्षेत्रों में नवोन्मेषी, प्रौद्योगिकी संचालित, उच्च जोखिम, उच्च प्रभाव वाली गतिविधियों का सहयोग करने के लिए, “एग्री-श्योर – स्टार्ट अप्स और ग्रामीण उद्यमों के लिए कृषि निधि” नामक एक निधि की स्थापना की गई है. इस निधि के लिए भारत सरकार और नाबार्ड प्रायोजक एजेंसियां हैं.
इस निधि का उद्देश्य क्षेत्र विशेष एआईएफ, क्षेत्र-विशिष्ट एआईएफ, ऋण एआईएफ और स्टार्ट-अप्स में प्रत्यक्ष इक्विटी निवेश में निवेश करना है.
इस निधि की कुल राशि 750 करोड़ रुपये है. इसमें से 250 करोड़ रुपये भारत सरकार और नाबार्ड द्वारा दिए जाएंगे तथा 250 करोड़ रुपये निजी निवेशकों सहित अन्य संस्थाओं से जुटाए जाएंगे.
यह निधि सेबी के श्रेणी-II वैकल्पिक निवेश निधि के रूप में पंजीकृत है.
नाबार्ड की पूर्ण स्वामित्व वाली सहायक कंपनी नैबवेंचर्स लिमिटेड इस निधि की निवेश प्रबंधक है.
एग्रीश्योर निधि का उद्देश्य:
एग्री-श्योर निधि के उद्देश्यों में निम्नलिखित के लिए वित्तीय सहयोग प्रदान करना शामिल है, परंतु यह इन्हीं तक सीमित नहीं है.
- कृषि और संबद्ध गतिविधियों से संबंधित स्टार्ट-अप्स के लिए निवेश अनुकूल माहौल तैयार करना तथा उनकी निवेश अवशोषण क्षमता में वृद्धि करना.
- कृषि तंत्र में स्टार्ट-अप्स के विकास में तेजी लाना.
- क्षेत्र विशेष एआईएफ के लिए पूंजी प्रतिबद्धताओं को बढ़ाना और बनाए रखना ताकि वे किसानों और एफपीओ/ एफपीसी/ प्राथमिक सहकारी समितियों की सेवा में लगे कृषि और एग्री-टेक स्टार्ट-अप्स को इक्विटी सहयोग प्रदान करने में सक्षम हो सकें.
- कृषि एवं एग्री-टेक स्टार्ट-अप्स में वैकल्पिक निवेश निधि द्वारा निवेश के औसत आकार और संख्या में वृद्धि करना.
- कृषि और एग्री-टेक में उच्च प्रभाव वाली गतिविधियों में संलग्न रहते हुए, नवोन्मेषी, प्रौद्योगिकी-संचालित विचारों और उच्च जोखिम उठाने की इच्छा रखने वाले युवा उद्यमियों को प्रोत्साहित करना.
- मौजूदा कृषि और एग्री-टेक स्टार्ट-अप्स को चलनिधि प्रदान करना, जो इक्विटी, ऋण उपकरणों आदि जैसे विभिन्न प्रकार के वित्तपोषण तक पहुंच की कमी के कारण अपने व्यवसाय को बढ़ाने में असमर्थ हैं.
- ग्रामीण क्षेत्र में उपलब्ध अवसरों को बढ़ावा देना, ताकि स्टार्ट-अप्स को प्रोत्साहित कर और नए उद्यमियों को कृषि-व्यवसाय के इस क्षेत्र में लाकर कृषि उत्पादन मूल्य श्रृंखला प्रणालीको अधिक सशक्त, मजबूत और संगठित बनाने में मदद मिल सके, जिससे आगे और पीछे की कड़ियों के लिए अधिक कुशल और लाभकारी तंत्र स्थापित किया जा सके.
- कृषि संबंधी तंत्र में अधिकाधिक लोग को शामिल करना, ताकि एफपीओ/ एफपीसी/ प्राथमिक सहकारी समितियों को एग्री टेक स्टार्ट-अप के माध्यम से नवीनतम स्वचालित कृषि प्रक्रियाओं और मशीनरी तक पहुंच मिल सके.
- तकनीकी रूप से योग्य ग्रामीण और शहरी युवाओं के लिए अतिरिक्त रोजगार के अवसर सृजित करना ताकि वे कृषि को व्यवसायिक अवसर के रूप में अपना सकें.
- मौजूदा ग्रामीण युवाओं को कृषि में बनाए रखना और समय-समय पर उनके समक्ष नई प्रौद्योगिकियों, तकनीकें और उपकरण उपलब्ध कराकर युवा पीढ़ी को कृषि के लिए प्रोत्साहित करना. शहरी युवाओं को ग्रामीण कृषि तंत्र में नए स्टार्ट-अप्स स्थापित करने के लिए प्रोत्साहित करके, युवा किसानों और शहरी उद्यमियों दोनों के लिए एक सर्वहितकारी की स्थिति बनाना, जिससे वे अपने-अपने क्षेत्रों में काम करके एक-दूसरे को लाभ पहुंचा सकें.
- विभिन्न वैकल्पिक निवेश निधियों में योगदान देकर कृषि और ग्रामीण स्टार्ट-अप तंत्र में अधिक निवेश आकर्षित करना.
निधि से लक्षित लाभार्थी
- इस निधि की दो योजनाओं के अंतर्गत, फंड लाइफ के अंत तक 25 करोड़ रुपये तक के परिवर्तनीय टिकट आकार के साथ लगभग 85 स्टार्ट-अप्स को समर्थन देने की परिकल्पना की गई है.
- लक्षित लाभार्थियों में कृषि और ग्रामीण विकास क्षेत्र में काम करने वाले स्टार्ट-अप्स शामिल होंगे और इसमें एग्रीटेक, खाद्य प्रसंस्करण, पशुपालन, मत्स्य पालन, आपूर्ति श्रृंखला प्रबंधन, कृषि मशीनीकरण, जैव प्रौद्योगिकी, अपशिष्ट प्रबंधन, नवीकरणीय ऊर्जा, प्राथमिक सहकारी समितियों के विकास सहित कृषि मूल्य श्रृंखला, एफपीओ के लिए समर्थन, फार्म स्तर पर प्रौद्योगिकी समर्थन और जलवायु परिवर्तन शामिल होंगे.
- उद्यमियों/ उद्यमों की निवेश अवशोषण क्षमता और तंत्र के भीतर बाजार की स्थितियों आदि के आधार पर निवेश के आकार और संख्या में भिन्नता हो सकती है.