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वित्तीय समावेशन निधि - नवीन दृष्टिकोण संशोधित परिपत्र और विशेष फोकस जिलों (एसएफडी) की सूची में संशोधन

संदर्भ सं.राबै.डीएफआईबीटी/11451-11899/डीएफआईबीटी-23/2022-23

परिपत्र संख्या.09/ डीएफआईबीटी-01/2023

31 जनवरी 2023

अध्यक्ष और प्रबंध निदेशक /अध्यक्ष /मुख्य कार्यपालक अधिकारी
अनुसूचित (लघु वित्त बैंक और पेमेंट बैंक सहित( वाणिज्यिक बैंक
क्षेत्रीय ग्रामीण बैंक
राज्य सहकारी बैंक
जिला मध्यवर्ती सहकारी बैंक

महोदया /महोदय,

वित्तीय समावेशन निधि – नवीन दृष्टिकोण संशोधित परिपत्र और विशेष फोकस जिलों (एसएफडी) की सूची में संशोधन

1. कृपया विभिन्न भौतिक, आर्थिक और सामाजिक विशेषताओं से विवश पिछड़े जिलों पर बल देने के लिए वित्तीय समावेशन के सहयोगों के लिए विभेदीकृत दृष्टिकोण से संबंधित हमारे परिपत्र संख्या 105/ डीएफ़आईबीटी-04/2019 दिनांक 23 अप्रैल 2019 और दिनांक 17 मार्च 2021 के परिपत्र संख्या 36/ डीएफ़आईबीटी-07/2021 का संदर्भ लें.

2. इस संबंध में हम आपको सूचित करते हैं कि भारत सरकार ने वामपंथी उग्रवाद से प्रभावित जिलों की सूची में संसोधन किया है. पहले इस सूची में 90 जिले थे, अब इस सूची में 70 जिले हैं और नीति आयोग ने आकांक्षी जिलों की सूची में संशोधन किया है। तदनुसार, 356 विशेष फोकस जिलों की संशोधित सूची आपके तत्काल संदर्भ और आवश्यक कार्रवाई के लिए संलग्न है।

2. इस परिपत्र की जारी होने की तारीख से यह प्रभावी माना जाएगा. चालू सभी परियोजनाएँ, इस परिपत्र की तारीख से पहले मंजूर परियोजनाएँ दिनांक 23 अप्रैल 2019 के परिपत्र सं. 105/ डीएफ़आईबीटी-04/2019और दिनांक 17 मार्च 2021 के परिपत्र संख्या 36/ डीएफ़आईबीटी-07/2021 में निहित मंजूरी संबंधी निबंधनों और शर्तों द्वारा अभिशासित की जाएंगी

भवदीय,

(भल्लामुडी श्रीधर )
मुख्य महाप्रबंधक

संलग्न – उपरोक्त

टिप्पणी यह परिपत्र पिछले परिपत्र सं. 105/DFIBT-04/2019 दिनांक 23.04.2019 और 36/DFIBT-07/2021 दिनांक 17.03.2021

परिपत्र संख्या. 09/ डीएफआईबीटी-01/ 2023

31 जनवरी 2023

अध्यक्ष और प्रबंध निदेशक/ अध्यक्ष/ मुख्य कार्यपालक अधिकारी
अनुसूचित वाणिज्यिक बैंक
(अनुसूचित लघु वित्त बैंक और भुगतान बैंक सहित)
क्षेत्रीय ग्रामीण बैंक
राज्य सहकारी बैंक
जिला मध्यवर्ती सहकारी बैंक

महोदया/ प्रिय महोदय,

वित्तीय समावेशन निधि – विशिष्ट दृष्टिकोण

पिछले दशक में वित्तीय समावेशन निधि का उपयोग अत्यावश्यक वित्तीय साक्षरता के प्रसार के साथ-साथ बैंकों में आवश्यक वित्तीय समावेशन संबंधी आधारभूत इंफ्रास्ट्रक्चर उपलब्ध कराने के लिए किया जाता रहा है. इस अवधि के दौरान सभी हितधारकों के सम्मिलित प्रयासों के कारण वित्तीय जागरूकता बढ़ाने और वित्तीय सेवा प्रदान करने के क्षेत्र में उल्लेखनीय प्रगति हुई है. तथापि, अब भी ऐसे कई क्षेत्र हैं जो वित्तीय समावेशन से अछूते हैं और कुछ ऐसे बैंक हैं जिनमें टेक्नालजी पर्याप्त रूप से अपनाया नहीं गया है. इसके कारण वित्तीय सेवाओं का समान प्रसार नहीं हुआ है. विभिन्न क्षेत्रों और बैंकों के विकास से जुड़ी इन असमानताओं को दूर करने की दृष्टि से वित्तीय वर्ष 2019-20 से एफआईएफ से सहायता प्रदान करने के लिए वित्तीय समावेशन की एक विभेदीकृत रणनीति शुरू की गई थी ।

2. विभेदीकृत रणनीति
इस रणनीति में विभिन्न पिछड़े जिलों पर अधिक बल दिया गया है, जो विभिन्न भौगोलिक, आर्थिक और सामाजिक परिस्थितियों के चलते पिछड़े रहे हैं. इन्हें अब विशेष बल प्राप्त जिलों (एसएफडी) के रूप में परिभाषित किया गया है. इन एसएफडी जिलों में सभी आकांक्षी, वामपंथी उग्रवाद से प्रभावित (जिले) जिले और पहाड़ी राज्यों के जिले, अंडमान और निकोबार द्वीपसमूह और पूर्वोत्तर क्षेत्र के जिले भी शामिल हैं। इसके अलावा ‘कम प्राथमिकता-प्राप्त क्षेत्र उधार (पीएसएल) ऋण प्रवाह’ जिले (प्रति व्यक्ति क्रेडिट प्रवाह <6000) वाले जिले भी एसएफडी में जोड़े गए थे। वर्तमान में देश में 356 एसएफडी हैं (अनुबंध I). इन एसएफडी में कार्यान्वित परियोजनाओं के लिए एफआईएफ से अनुदान सहायता को कार्यान्वयनकर्ता बैंक द्वारा किए गए पात्र व्यय के 90% तक बढ़ाया गया है. वर्तमान नीति के अनुसार अन्य जिलों में परियोजनाओं के लिए अनुदान सहायता अनुसूचित लघु वित्त बैंकों (एसएफबी) और भुगतान बैंक (पीबी) सहित अनुसूचित वाणिज्यिक बैंकों (एससीबी), क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों (आरआरबी) और ग्रामीण सहकारी बैंक (आरसीबी) के लिए पात्र व्यय के क्रमशः 60%, 80% और 90% तक सीमित होगी.

3. योजनाएं
एफआईएफ के अंतर्गत योजनाओं को तीन व्यापक समूह में वर्गीकृत किया गया है, नामत: (i) सामान्य रूप से उपलब्ध मानक योजनाएं, (ii) विशेष परियोजनाएं और (iii) सरकारी योजनाएं.

3.1 सामान्य रूप से उपलब्ध मानक योजनाएं
इस समूह में 19 योजनाएं हैं जो सामान्य रूप से उपलब्ध रहेंगी. तथापि, इन योजनाओं के अंतर्गत मंजूर परियोजनाओं के कार्यान्वयन के लिए इनकी मंजूरी की तारीख से एक निश्चित अवधि निर्धारित होगी. इन योजनाओं में वित्तीय साक्षरता, बैंकिंग प्रौद्योगिकी अंगीकरण, (अर्थात सामान्य रूप से उपलब्ध मानक योजनाएं) विनियामक और कनेक्टिविटी तथा पावर इन्फ्रास्ट्रक्चर से संबंधित कार्यकलाप शामिल हैं. इन योजनाओं से संबंधित ब्यौरे अनुबंध-II में इंगित हैं ।

3.2 विशेष परियोजनाएं
विशेष परियोजनाएं 'प्रायोगिक परियोजनाएं' होती हैं जिन्हें परियोजना आधार पर मंजूर किया जाता है और जिनके परियोजना विशिष्ट लक्ष्य और परिणाम होते हैं इस वर्ग में पूर्व में मंजूर प्रायोगिक परियोजनाएं, जैसे - बैंक सखी, बीसी, सीएफएल आदि के लिए प्रशिक्षण और कुछ ऐसी परियोजनाएं शामिल है। जिनकी मंजूर प्रतिबद्धताओं में से कुछ शेष है.

3.3 सरकारी योजनाएं
सरकारी योजनाओं का कार्यान्वयन यथा अपेक्षित नाबार्ड, प्रधान कार्यालय द्वारा किया जाएगा. वर्तमान में 30 सितम्बर 2019 तक आधार एनरोलमेन्ट और अपडेट केन्द्रों तथा 20 लाख भीम आधार पे उपकरणों के लिए सहायता उपलब्ध है.
(दोनों योजनाओं को बंद कर दिया गया है)

4. वित्तीय समावेशन का दृष्टिकोण
इस विभेदीकृत रणनीति के माध्यम से लक्ष्यों को हासिल करने के लिए बैंकों को क्षेत्रों की पहचान करने लिए वैज्ञानिक प्रक्रिया अपनानी चाहिए, समुचित योजना तैयार करनी चाहिए, अपने प्रस्ताव मंजूरी के लिए नाबार्ड के क्षेत्रीय कार्यालय में प्रस्तुत करना चाहिए और योजनाओं का प्रभावी कार्यान्वयन करना चाहिए, परिणामों की मॉनीटरिंग करनी चाहिए और नाबार्ड क्षेत्रीय कार्यालय से पात्र व्यय का दावा प्राप्त करना चाहिए. सभी बैंकों से अनुरोध है कि वे वित्तीय समावेशन निधि से वित्तीय साक्षरता और समावेशन इन्फ्रास्ट्रक्चर हेतु वित्तीय सहायता के लिए के लिए अपनी आवश्यकताओं भौतिक और वित्तीय –दोनों को ध्यान में रखते हुए योजना तैयार करें और यह सुनिश्चित करें कि ये योजनाएं बैंक की वित्तीय समावेशन योजनाओं, ग्राम पंचायत विकास योजना के साथ-साथ राज्य के पिछड़े जिलों और विकास खंडो के लिए राज्य की प्राथमिकताओं के अनुरूप हों. इस उद्देश्य को पूरा करने की दृष्टि से अनुसूचित वाणिज्य बैंकों सहित सभी बैंक वित्तीय समावेशन निधि के अंतर्गत अपने प्रस्ताव नाबार्ड के संबंधित क्षेत्रीय कार्यालय में (कुछ अपवादों को छोड़कर) प्रस्तुत करेंगे ताकि इन योजनाओं के राज्य-वार कार्यान्वयन पर बेहतर नियंत्रण रखा जा सके और वांछित परिणामों की अच्छी तरह से मॉनीटरिंग की जा सके.

5. मॉनीटरिंग
वित्तीय समावेशन निधि के अंतर्गत मंजूर परियोजनाओं के कार्यान्वयन की मॉनीटरिंग नाबार्ड क्षेत्रीय कार्यालय द्वारा तिमाही आधार पर की जाएगी. इस कार्य को पूरा करने के लिए दौरे और अध्ययन भी करवाए जाएंगे तथा इस संबंध में प्राप्त फीडबैक एसएलबीसी के मंच पर साथ साझा किए जाएंगे. इसके अतिरिक्त, यह भी निर्णय लिया गया है कि जिन परियोजनाओं के लिए मंजूर और जारी वित्तीय सहायता रु.25 करोड़ से अधिक है उन सभी परियोजनाओं की कार्योत्तर मूल्यांकन नाबार्ड किसी तीसरे पक्ष से करवाएगा.

6. प्रस्ताव
6.1 परियोजना प्रस्ताव और दावे के फार्मेट को सरल बनाया गया है और इन्हें संलग्न किया गया है (अनुबंध III- प्रस्ताव का फ़ारमैट और IV- दावे का फ़ारमैट )
6.2 यह परिपत्र इसके जारी होने की तिथि से प्रभावी होगा और इन योजनाओं के लिए पूर्व के मानदंडों के स्थान पर संशोधित मानदंड लागू होंगे. इस परिपत्र के पूर्व मंजूर सभी चालू परियोजनाएं अपनी मंजूरी की शर्तों और निबंधनों के अनुसार चलाई जाएंगी. पूर्ण होने के उपरांत ये परियोजनाएं बंद हो जाएंगी. इस संबंध में किसी प्रकार के स्पष्टीकरण के लिए संबंधित मंजूरीकर्ता कार्यालय से संपर्क किया जा सकता है.

7. सीजीएम (डीएफआईबीटी),
प्रधान कार्यालय, इस परिपत्र के अनुखंडों की व्याख्या करने के लिए अंतिम प्राधिकारी हैं और डीएमडी, नाबार्ड इस परिपत्र के किसी भी खंड में संशोधन करने के लिए अंतिम प्राधिकारी हैं।

8.
यह परिपत्र दिनांक 23 अप्रैल 2019 के पिछले परिपत्र संख्या 105/ डीएफआईबीटी-04/2019 और दिनांक 17 मार्च 2021 के परिपत्र संख्या 36/ डीएफआईबीटी-07/2021 का अधिक्रमण करता है

भवदीय,

(भल्लामुडी श्रीधर)
मुख्य महाप्रबंधक

अनुबंध :
i. एसएफडी की सूची
ii. सामान्य रूप से उपलब्ध मानक योजनाएं
iii. प्रस्ताव फार्मेट
iv. दावा फार्मेट
V. पूर्व परिपत्र जो अब से अवैध्य है