नाबार्ड भारत का शीर्ष विकास बैंक है जिसकी स्थापना 1982 में संसद के एक अधिनियम के माध्यम से संधारणीय और समानता पर आधारित कृषि और ग्रामीण विकास के संवर्धन के लिए की गई. चार दशकों से अधिक की इस यात्रा में इस प्रथमस्थानीय विकास वित्त संस्था ने कृषि वित्त, आधारभूत संरचना विकास, बैंकिंग प्रौद्योगिकी, स्वयं सहायता समूहों और संयुक्त देयता समूहों के जरिए सूक्ष्म वित्त और ग्रामीण उद्यमिता तथा अन्य सहयोगों के माध्यम से भारत के गाँवों के जीवन में रूपांतरण ला दिया है. नाबार्ड ग्रामीण क्षेत्रों में अपने सहभागितामूलक वित्तीय और इतर सहयोगों, नवोन्मेषों, प्रौद्योगिकी तथा संस्थागत विकास के माध्यम से राष्ट्र निर्माण में निरंतर योगदान कर रहा है.
उद्भव
भारत सरकार ने ग्रामीण अर्थव्यवस्था में संस्थागत ऋण की महत्ता समझते हुए कृषि और ग्रामीण विकास के लिए संस्थागत ऋण की व्यवस्थाओं की समीक्षा के लिए समिति (क्राफिकार्ड) का गठन किया. यह समिति 30 मार्च 1979 को योजना आयोग के पूर्व सदस्य श्री बी. शिवरामन की अध्यक्षता में गठित की गई.
समिति की अंतरिम रिपोर्ट के आधार पर संसद ने 1981 के अधिनियम 61 के माध्यम से राष्ट्रीय कृषि और ग्रामीण विकास बैंक (नाबार्ड) की स्थापना को अनुमोदित कर दिया. इस एकमेव विकास वित्त संस्था की स्थापना ग्रामीण विकास से जुड़े ऋण संबंधी मुद्दों पर ध्यान केंद्रित करने के उद्देश्य से की गई.
इस उद्देश्य के दृष्टिगत भारतीय रिज़र्व बैंक के कृषि ऋण कार्यों तथा कृषिक पुनर्वित्त और विकास निगम के पुनर्वित्त कार्यों को नाबार्ड को अंतरित कर दिया गया. इस संस्था को स्वर्गीय प्रधान मंत्री श्रीमती इंदिरा गाँधी द्वारा 05 नवंबर 1982 को राष्ट्र की सेवा में समर्पित किया गया. पूर्णत: भारत सरकार के स्वामित्व में स्थित नाबार्ड ग्रामीण भारत की समृद्धि की कहानी लिख रहा है.
विज़न
ग्रामीण समृद्धि के लिए राष्ट्रीय विकास बैंक
मिशन
सहभागिता, संधारणीयता और समानता पर आधारित वित्तीय और गैर-वित्तीय सहयोगों, नवोन्मषों, प्रौद्योगिकी और संस्थागत विकास के माध्यम से समृद्धि लाने के लिए कृषि और ग्रामीण विकास का संवर्धन