पर्यवेक्षी प्रक्रिया

ऑन-साइट निरीक्षण

नाबार्ड राज्य सहकारी (रास) बैंकों, जिला मध्यवर्ती सहकारी (जिमस) बैंकों, क्षेत्रीय ग्रामीण (क्षेग्रा) बैंकों, राज्य सहकारी कृषि और ग्रामीण विकास (रासकृग्रावि) बैंकों और अन्य राज्य स्तरीय शीर्ष संस्थाओं का आवधिक निरीक्षण करता है. इन निरीक्षणों में बैंकों के वित्तीय, प्रबंधकीय, परिचालानात्मक पहलुओं और जोखिम प्रोफाइल पर ध्यान केन्द्रित किया जाता है. बाद में, नाबार्ड निरीक्षण के निष्कर्षों पर अनुपालन सुनिश्चित करने के लिए अनुवर्तन करता है. प्रधान कार्यालय के अलावा, निरीक्षण के दौरान कुछ क्षेत्रीय/ नियंत्रण कार्यालयों और कुछ शाखाओं को भी शामिल किया जाता है ताकि अग्रिमों का न्यूनतम कवरेज़ सुनिश्चित किया जा सके.

ऑन-साइट निरीक्षण में ऋण-शोधन क्षमता, तरलता और परिचालनगत सुदृढ़ता पर ध्यान केन्द्रित किया जाता है. जहाँ निरीक्षण के निष्कर्षों पर अनुपालन का अनुवर्तन सामान्य क्रम में किया जाता है, वहीं जिन पर्यवेक्षकीय चिंताओं के मामले में तत्काल सुधार आवश्यक होता है, उन प्रमुख क्षेत्रों के बारे में नाबार्ड बैंकों, राज्य सरकारों, प्रायोजक बैंक आदि को पत्र लिखता है और साथ ही अनुप्रवर्तन-योग्य कार्रवाई योजना तैयार करने के लिए उनके साथ विचार-विमर्श भी करता है.

पर्यवेक्षकीय रेटिंग कैमेलसेक (अर्थात् पूँजी पर्याप्तता, आस्ति गुणवत्ता, प्रबंधन, आय, तरलता, प्रणालियाँ और अनुपालन) संकल्पना पर आधारित होती है.

ऑफ-साइट (स्थलेतर) निगरानी (ओएसएस)

ओएसएस को ऑन-साइट निरीक्षण के अनुपूरक टूल (साधन) के रूप में शुरू किया गया है. इस प्रणाली के अंतर्गत मूल रूप से सहकारी बैंकों और क्षेग्रा बैंकों से प्राप्त होने वाली कुछ सांविधिक और गैर-सांविधिक विवरणियों के माध्यम से उनके परिचालनों की संवीक्षा की जाती है. जहाँ आवधिक सांविधिक ऑन-साइट निरीक्षण में एक निर्धारित अवधि के दौरान बैंकों के कार्यनिष्पादन का समग्र मूल्यांकन करने का प्रयास किया जाता है, वहीं ऑफ़-साइट निगरानी में निरंतर पर्यवेक्षण की परिकल्पना है जो ऑन-साइट निरीक्षण की अनुपूर्ति करेगा. इससे बैंक द्वारा आगे कार्रवाई की अपेक्षा वाले जोखिम-प्रवण क्षेत्रों के बारे में शीघ्र चेतावनी संकेत जारी करने में सुविधा होती है.

अनुपूरक मूल्यांकन/ पोर्टफोलियो अध्ययन

ये गतिविधियाँ नियमित ऑन-साइट निरीक्षण/ ऑफ़-साइट निगरानी की अनुपूर्ति करती हैं और तब की जाती हैं जब निरीक्षण/ निगरानी में किसी संभावित समस्या के विशिष्ट संकेत मिलते हैं.

ऋण निगरानी व्यवस्था (सीएमए)

सीएमए के अंतर्गत विशिष्ट मामलों में निरंतर आधार पर सहकारी बैंकों के सेक्टर-वार और इकाई-वार उधारकर्ता एक्सपोज़र की निगरानी की जाती है.

धोखाधड़ियों और दुर्विनियोजनों का अनुप्रवर्तन

नाबार्ड पर्यवेक्षित संस्थाओं में धोखाधड़ियों और दुर्विनियोजनों/ सेंधमारी/ डकैती आदि के मामलों का अनुप्रवर्तन करता है. बैंकों में धोखाधड़ी के मामलों के त्वरित निपटान के महत्त्व को ध्यान में रखते हुए और पर्यवेक्षण बोर्ड (रास बैंकों, जिमस बैंकों, क्षेग्रा बैंकों के लिए) द्वारा लिए गए निर्णय के अनुसरण में रु.10.00 लाख और उससे अधिक की धोखाधड़ी के मामलों के अनुप्रवर्तन के लिए नाबार्ड के प्रधान कार्यालय में एक केंद्रीकृत धोखाधड़ी अनुप्रवर्तन कक्ष (सीएफएमसी) की स्थापना की गई है.

शिकायतें और परिवाद

नाबार्ड पर्यवेक्षित संस्थाओं के विरुद्ध प्राप्त शिकायतों और परिवादों का अनुप्रवर्तन और अनुवर्तन करता है.

हम क्या करते हैं