अन्य पहल

  • नाबार्ड के क्षेत्रीय कार्यालय और प्रशिक्षण संस्थान पर्यवेक्षित संस्थाओं के लिए केवाईसी (अपने ग्राहक को जानो)/ एएमएल (धनशोधन निरोध), ऋण अनुप्रवर्तन व्यवस्था (सीएमए), धोखाधड़ी, निवेश, आतंरिक जाँच और नियंत्रण, कॉर्पोरेट अभिशासन, निवेश प्रबंधन, आस्ति-देयता प्रबंधन आदि के लिए संवेदीकरण कार्यशालाएँ आयोजित करते हैं;
  • नाबार्ड ने एफएटीएफ पारस्परिक मूल्यांकन (एमई) के लिए 10 रिपोर्टिंग संस्थाओं की पहचान की है. नाबार्ड द्वारा पर्यवेक्षित संस्थाओं के सन्दर्भ में एफएटीएफ को राष्ट्रीय जोखिम आकलन रिपोर्ट पर जानकारी उपलब्ध कराई गई. केवाईसी/ एएमएल/ सीएफटी दिशानिर्देशों के पालन पर नाबार्ड द्वारा पर्यवेक्षित संस्थाओं के लिए नियमित रूप से कार्यशालाएँ आयोजित की जाती हैं.
  • नाबार्ड ने पर्यवेक्षित बैंकों के लिए विभिन्न मुद्दों पर ‘संवेदीकरण कार्यशालाएँ’ आयोजित की हैं, जैसे साइबर सुरक्षा और धोखाधड़ी की रोकथाम के विनियामकीय पहलू, निवेश और ट्रेजरी प्रबंधन पर उन्नत कार्यक्रम, ग्रामीण सहकारी बैंकों के लिए जोखिम प्रबंधन, आस्ति-देयता प्रबंधन और अनर्जक आस्ति वसूली प्रबंधन आदि.
  • नाबार्ड ने पर्यवेक्षित संस्थाओं के लिए एक स्व-मूल्यांकन टूल (साधन), नामतः ‘वल्नरेबिलिटी इंडेक्स फॉर साइबर सिक्योरिटी (विक्स)’ विकसित किया है. बैंकों में डिजिटलीकरण और भुगतान प्रणालियों से उनके परस्पर कनेक्ट होने की स्थिति के आधार पर बैंकों को चार स्तरों में वर्गीकृत किया गया है.
  • नाबार्ड ने पर्यवेक्षित संस्थाओं के लिए एक स्व-मूल्यांकन टूल (साधन), नामतः ‘फ्रॉड वल्नरेबिलिटी इंडेक्स (इन्फ्रा)’ विकसित किया है ताकि वे धोखाधड़ी प्रबंधन दिशानिर्देशों के अपने द्वारा पालन को माप सकें और ऐसी घटनाओं का शिकार होने के प्रति संवेदनशील बनें.
  • क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों और ग्रामीण सहकारी बैंकों के लिए ‘मैट्रिक्स ऑफ़ पॉलिसीज (एमओपी)’ शुरू की गई ताकि विभिन्न बैंकों में नीतियों के कार्यान्वयन की स्थिति का निरंतर अनुप्रवर्तन सुनिश्चित किया जा सके. इसके अलावा, बैंकों को यह भी सूचित किया गया कि वे प्रत्येक नीति के कार्यान्वयन की समीक्षा करें, जहाँ भी अपेक्षित हो, वहाँ आवश्यक कार्रवाई शुरू करें और स्थिति को अर्धवार्षिक आधार पर निर्धारित समय-सीमा के भीतर अद्यतन करें.
  • 'अग्रसक्रिय पर्यवेक्षण’ की शुरुआत 2020 में की गई जिसमें यह परिकल्पित है कि पूर्व-निर्धारित मानकों/ त्रुटियों में सुधार लाने के लिए नाबार्ड द्वारा पर्यवेक्षित सभी संस्थाओं के मुख्य कार्यपालक अधिकारियों के साथ निरंतर संपर्क में रहा जाए. इसका उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि पर्यवेक्षक अर्थात् नाबार्ड पर्यवेक्षित संस्थाओं के साथ नियमित निकट संपर्क में रहकर लम्बे समय से बनी रही त्रुटियों और पूर्ववर्ती निरीक्षण के प्रेक्षणों पर पर्यवेक्षित संस्था द्वारा प्रस्तुत अनुपालन में सुधार/ प्रगति की संपुष्टि की जाए, और पर्यवेक्षकीय चिंता का कारण बनने वाले मुद्दों का भी समाधान किया जाए.
  • नाबार्ड के पर्यवेक्षित संस्थाओं के संबंध में एफएटीएफ को राष्ट्रीय जोखिम मूल्यांकन रिपोर्ट पर इनपुट प्रदान किये गए थे। केवायसी/एएमएल/सीएफटी दिशानिर्देशों के पालन पर नाबार्ड पर्यवेक्षित संस्थाओं के लिए नियमित कार्यशालाएं आयोजित की जाती हैं। इसके अलावा, 13 नवंबर 2023 को नई दिल्ली में एफएटीएफ टीम एवं नाबार्ड द्वारा आपसी मूल्यांकन किया गया ।
  • सीएसआईटीई कक्ष ने पर्यवेक्षित संस्थाओं और क्षेत्रीय कार्यालयों के लिए साइबर सुरक्षा कार्यशालाएँ (वित्तीय वर्ष 22 में 29 सत्र) आयोजित कीं. बैंकों को वर्तमान आधार पर साइबर घटनाओं/ कमजोरियों के बारे में समन्वय और मार्गदर्शन का कार्य किया जाता है. साइबर सुरक्षा के अनुप्रवर्तन और कार्यान्वयन के सुदृढीकरण के लिए विद्यमान विवरणियों के पुनरीक्षण का कार्य किया गया. सलाहों, मार्गदर्शक टिप्पणियों, मानक परिचालन प्रक्रियाओं (एसओपी) के माध्यम से जानकारी का प्रसार किया जाता है.
  • दिसंबर 2018 में स्थापित, सीएसआईटीई सेल अपनी पर्यवेक्षित संस्थाओं यानी क्षे ग्रा बैंक और आरसीबी के साइबर सुरक्षा ढांचे के कार्यान्वयन की देखरेख करता है। सेल साइबर सुरक्षा पहलुओं पर परिपत्र और दिशानिर्देश जारी करता है और सरकार और नियामक दिशानिर्देशों के संबंध में साइबर सुरक्षा अनुपालन की निगरानी करता है। यह पर्यवेक्षित संस्थाओं के बीच विभिन्न संस्थाओं से प्राप्त साइबर सुरक्षा खतरे की खुफिया जानकारी, अलर्ट और सलाह का प्रसार करता है और पर्यवेक्षित संस्थाओं द्वारा रिपोर्ट की गई साइबर घटनाओं के मूल कारण का विश्लेषण करता है। सेल ने वित्त वर्ष 2022-23 में कुल 18 सत्रों में पर्यवेक्षित संस्थाओं और क्षेत्रीय कार्यालयों के लिए साइबर सुरक्षा कार्यशालाएं आयोजित कीं और इसी अवधि के दौरान 10 आईटी परीक्षाएं आयोजित कीं।
  • पर्यवेक्षण विभाग ने पर्यवेक्षकीय संरचना के भाग के रूप में पर्यवेक्षित संस्थाओं के लिए जोखिम आधारित मात्रात्मक और गुणात्मक संकेतकों के आधार पर ई अर्थात् वर्धित कैमेलसेक मॉडल विकसित किया है.
  • वि.वर्ष 2022-23 में सुपरसॉफ्ट को अपनाने और वि.वर्ष 2023-24 में वर्धित कैमेलसेक के आरम्भ से निरीक्षण कार्यक्रम से सम्बंधित पर्यवेक्षण रणनीति, ऑन-साइट निरीक्षण के संचालन के लिए टीम के गठन, निरीक्षण के संचालन की अवधि, निरीक्षण दस्तावेजों की प्रस्तुति और निर्गम को संशोधित किया जाएगा ताकि नाबार्ड की पर्यवेक्षण प्रक्रिया को इष्टतम स्तर तक ले जाया जा सके.

समितियाँ

क. त्रि-स्तरीय अल्पावधि सहकारी ऋण संरचना (एसटीसीएस) की संगति, प्रयोज्यता और उसे बनाए रखने पर समिति

सहकारिता मंत्रालय, भारत सरकार ने दिनांक 06 जुलाई के अपने पत्र सं. आर -11017/22/2021.एलएंडएम (ई-एफटीएस-113601) के माध्यम से उपर्युक्त विषय पर एक अध्ययन के संचालन के लिए नाबार्ड के अध्यक्ष श्री शाजी के वी की अध्यक्षता में एक विशेषज्ञ समिति गठित की जिसके अन्य सदस्य हैं – प्रबंध निदेशक, नैफ्सकॉब; सचिव, एनसीसीटी; और श्री सतीश मराठे, निदेशक, केन्द्रीय बोर्ड, भारतीय रिज़र्व बैंक. मुख्य महाप्रबंधक, नाबार्ड इस विशेषज्ञ समिति के सदस्य-सचिव हैं. अध्ययन की रिपोर्ट को अंतिम रूप दिया जा रहा है.

ख. जोखिम भार के पुनरीक्षण और अधिक मजबूत क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों को बेसल III मानदंडों के अंतर्गत लाने के सकारात्मक और नकारात्मक पहलुओं पर समिति

वित्त मंत्रालय, भारत सरकार ने दिनांक 30 सितम्बर 2022 के पत्र सं. 7/11/2022-आरआरबी के माध्यम से उपर्युक्त विषय पर नाबार्ड के अध्यक्ष श्री शाजी के वी की अध्यक्षता में एक समिति गठित की है जिसमें 07 अन्य सदस्य हैं. मुख्य महाप्रबंधक, नाबार्ड इस समिति के सदस्य-सचिव हैं.

उक्त समिति को संदर्भित विचारार्थ विषय हैं:

  • क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों द्वारा मंजूर ऋणों पर जोखिम भार के पुनरीक्षण के मामले का परीक्षण करना.
  • अधिक मजबूत क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों को बेसल III मानदंडों के अंतर्गत लाने के सकारात्मक और नकारात्मक पहलुओं की समीक्षा करना.

रिपोर्ट फरवरी 2023 में भारत सरकार को प्रस्तुत कर दी गई है.

अद्यतन स्थिति

  • बैंकों का निरीक्षण: वित्तीय वर्ष 2022-23 के दौरान, नाबार्ड ने 303 सांविधिक निरीक्षण और 09 स्वैच्छिक निरीक्षण संचालित किए अर्थात् 31 मार्च 2022 की स्थिति के अनुसार वित्तीय डाटा के सन्दर्भ में 43 क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों, 34 राज्य सहकारी बैंकों, 226 जिला मध्यवर्ती सहकारी बैंकों और 09 राज्य सहकारी कृषि और ग्रामीण विकास बैंकों का निरीक्षण किया गया.
  • इसी प्रकार, नाबार्ड ने 2023-24 के दौरान 31 मार्च 2023 की वित्तीय स्थिति के सन्दर्भ में 352 पर्यवेक्षित संस्थाओं का सांविधिक निरीक्षण करने की योजना तैयार की है, अर्थात् 43 क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों, 34 राज्य सहकारी बैंकों, 266 जिला मध्यवर्ती सहकारी बैंकों (टायको सहित) और 09 राज्य सहकारी कृषि और ग्रामीण विकास बैंकों का निरीक्षण किया जाएगा.

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