भारत सरकार देश में खाद्य प्रसंस्करण उद्योग के विकास को सर्वोच्च प्राथमिकता देती है क्योंकि यह कृषि मूल्य शृंखला की सर्वाधिक महत्वपूर्ण कड़ी है. इस एजेंडा को आगे बढ़ाते हुए माननीय वित्त मंत्री ने 2014 में नामनिर्दिष्ट फ़ूड पार्कों (डीएफपी) और डीएफपी में खाद्य प्रसंस्करण इकाइयों को वहनीय ब्याज दरों पर सीधे सावधि ऋण उपलब्ध कराने के लिए रु.2000 करोड़ की एक विशेष निधि की स्थापना की घोषणा की.
इस निधि के उद्देश्य हैं:
- देश में क्लस्टर आधार पर खाद्य प्रसंस्करण सेक्टर के विकास को गति देना
- कृषि उपज की बर्बादी को कम करना
- विशेष रूप से ग्रामीण क्षेत्रों में रोजगार के अवसर सृजित करना.
निधि से वित्तपोषण का दायरा
इस निधि से निम्नलिखित के वित्तपोषण के लिए सावधि ऋण दिया जाएगा;
- डीएफपी में अपेक्षित सभी आधारभूत संरचनाओं का विकास/ उनकी स्थापना
- डीएफपी में अतिरिक्त आधारभूत संरचनाओं में वृद्धि/ उनका आधुनिकीकरण/ निर्माण
- डीएफपी के भीतर एकल खाद्य प्रसंस्करण इकाइयों या किसी भी ऐसी इकाई की स्थापना जो खाद्य प्रसंस्करण इकाइयों के सहयोग के लिए स्थापित की गई हो; और
- डीएफपी में विद्यमान खाद्य प्रसंस्करण इकाइयों का आधुनिकीकरण जिससे प्रक्रिया में प्रौद्योगिकीय उन्नयन और स्वचालीकरण हो, दक्षता बढ़े, उत्पादन की गुणवत्ता में सुधार हो, लागत में कमी आए, आदि.
पात्र उधारकर्ता
नाबार्ड में स्थित इस निधि से ऋण लेने के लिए निम्नलिखित संस्थाएँ पात्र हैं:
- राज्य सरकारें
- राज्य सरकारों या भारत सरकार द्वारा संवर्धित संस्थाएँ
- संयुक्त उद्यम
- विशेष प्रयोजन वेहिकल (एसपीवी)
- सहकारी संस्थाएँ
- सहकारी संस्थाओं के महासंघ
- कृषक उत्पादक संगठन
- कॉर्पोरेट
- कम्पनियाँ
- उद्यमी आदि
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