विपणन महासंघ और सहकारी संस्थाएँ दूध सहित विभिन्न कृषि पण्यों के कृषि-व्यवसाय तथा मूल्य शृंखला प्रबंधन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं. इन संस्थाओं की मुख्य गतिविधियाँ हैं कृषि पण्यों की खरीद, उनका समेकन, भण्डारण और मूल्यवर्धन तथा विपणन.
कृषि क्षेत्र की गतिविधियाँ मौसमी प्रकृति की होती हैं, जिसके कारण ऋण, निविष्टियों आदि की माँग भी मौसमी होती है. इस प्रकार, इन महासंघों और सहकारी समितियों द्वारा किए जाने वाले दैनंदिन परिचालनों के लिए मौसमी अल्पावधि (12 माह) की ऋण सुविधा की आवश्यकता होती है.
पात्र संस्थाएँ
महासंघों को ऋण सुविधा (सीएफएफ) के अंतर्गत निम्नलिखित संस्थाएँ निधीयन के लिए पात्र हैं:
I.राज्य/ केंद्र सरकार के कृषि विपणन महासंघ, निगम
II. डेयरी सहकारी संस्थाएँ/ महासंघ
III.कृषि विपणन सहकारी संस्थाएँ/ महासंघ
IV. पंजीकृत कम्पनियाँ
पात्रता मानदंड
सीएफएफ के अंतर्गत निधीयन प्राप्त करने के लिए उधारकर्ता संस्था हेतु मानदंड स्थूल रूप से निमानानुसार हैं:
I. राज्य/ केंद्र सरकार के कृषि विपणन महासंघ, निगम
- उसकी स्थापना या गठन किसी केन्द्रीय या राज्य अधिनियम द्वारा या उसके अंतर्गत हुई/ हुआ हो और उसकी चुकता पूँजी केन्द्रीय/ राज्य द्वारा धारित हो या उसके नियंत्रणाधीन हो.
- उसने गत तीन वर्षों के दौरान लाभ अर्जित किया हो और संचित हानियाँ न हों.
- ख़राब वित्तीय संस्थाओं पर प्रस्ताव के गुण-दोष के साथ-साथ इस आधार पर विचार किया जाएगा कि वे सरकारी गारंटी से समर्थित हैं या नहीं.
- लेखापरीक्षा नियमित हो.
II. डेयरी और कृषि सहकारी संस्थाएँ और महासंघ
- उसे सहकारी सोसायटी अधिनियम/ किसी अन्य संगत अधिनियम के अंतर्गत पंजीकृत निकाय होना चाहिए.
- उसने गत तीन वर्षों के दौरान लाभ अर्जित किया हो और संचित हानियाँ न हों.
- प्रबंधन व्यावसायिक हो और व्यवस्था लोकतांत्रिक हो.
- लेखापरीक्षा नियमित हो.
III. पंजीकृत कम्पनियाँ
- उसे कंपनी अधिनियम के अंतर्गत पंजीकृत निकाय होना चाहिए.
- उसने गत तीन वर्षों के दौरान लाभ अर्जित किया हो और संचित हानियाँ न हों.
- प्रबंधन व्यावसायिक हो.
- प्रवर्तक कंपनी को क्रिसिल या केयर या सेबी द्वारा अनुमोदित किसी रेटिंग एजेंसी से न्यूनतम ‘एए’ क्रेडिट रेटिंग मिली हो.
- किसी भी प्रकार की वित्तीय सहायता की चुकौती में पूर्व में चूक न हुई हो.
- लेखापरीक्षा नियमित हो.
पात्र गतिविधियाँ
- कृषि पण्यों की खरीद और विपणन
- कृषि पण्यों का प्रसंस्करण और विपणन
- दूध की खरीद, प्रसंस्करण और विपणन
- पशु आहार सहित कृषि निविष्टियों की आपूर्ति
- कृषि पण्यों के मूल्यवर्धन और आपूर्ति शृंखला प्रबंधन से जुड़ी अन्य गतिविधियाँ
ऋण सीमा की प्रमात्रा और मार्जिन/ उधारकर्ता का अंशदान
ऋण सीमा और मार्जिन/ उधारकर्ता का अंशदान भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा समय-समय पर जारी दिशानिर्देशों के अनुसार होंगे. ऋण सीमा की प्रमात्रा लाभार्थी के प्रकार और ऋण सीमा की आवश्यकता/ प्रयोजन पर निर्भर है.
ब्याज दर
ब्याज दर नाबार्ड द्वारा निर्णीत दर के अनुसार होगी. इसके अलावा, ब्याज दर उधारकर्ता के प्रकार, प्रस्तावित प्रतिभूति के प्रकार, गारंटी की उपलब्धता, परियोजना के प्रकार, संस्था की क्रेडिट रेटिंग और प्रचलित बाजार स्थितियों पर निर्भर करेगी.
ऋण सीमा के लिए प्रतिभूति
प्रतिभूति की आवश्यकता उधारकर्ता संस्था की रेटिंग, परिचालन के प्रकार आदि, और भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा समय-समय पर निर्दिष्ट अपेक्षाओं/ निर्धारित मानदंडों के अनुसार होगी. प्राथमिक प्रतिभूति के रूप में अस्तियों, स्टॉक, प्राप्य राशियों और बही डेट को रखा जाएगा. उधारकर्ता संस्था और सीमा के प्रयोजन के आधार पर निर्भार आस्तियों, फिक्स्ड जमाओं, गारंटियों के रूप में अतिरिक्त संपार्श्विक प्रतिभूतियाँ आवश्यक हो सकती हैं.
मूल्यांकन शुल्क/ अपफ्रंट शुल्क
किसी प्रस्ताव-विशेष के लिए प्रवर्तक से मूल्यांकन शुल्क/ अपफ्रंट शुल्क प्रभारित किया जा सकता है. बैंक के मंजूरी प्राधिकारी को यह अधिकार होगा कि वह इन शुल्कों को माफ़ कर दे.