ग्रामीण अवसंरचना विकास निधि

वर्ष 1995-96 में भारत सरकार ने आरंभिक Rs.2,000 करोड़ से नाबार्ड में ग्रामीण आधारभूत सुविधा विकास निधि (आरआईडीएफ़) की स्थापना की। वर्ष 2023-24 में ग्रामीण आधारभूत सुविधा विकास निधि (आरआईडीएफ़) के अधीन Rs.40,475 करोड़ के आबंटन के बाद भारत निर्माण के अधीन आबंटित Rs.18,500 करोड़ को मिलकर ग्रामीण संचयी आबंटन Rs. 4,98,411 करोड़ हो गया है।

पात्र गतिविधियाँ

वर्तमान में, भारत सरकार द्वारा ग्रामीण आधारभूत सुविधा विकास निधि (आरआईडीएफ़) के तहत अनुमोदित 39 पात्र गतिविधियाँ(अनुबंध I) हैं। पात्र गतिविधियाँ निम्नलिखित प्रमुख तीन वर्गों में वर्गीकृत की गई हैं:

  • कृषि और सम्बंधित क्षेत्र
  • सामाजिक क्षेत्र  
  • ग्रामीण कनेक्टिविटी

अनुबंध I – पात्र गतिविधियाँ

पात्र संस्थाएँ

  • राज्य सरकारें/ संघराज्य क्षेत्र
  • राज्य के स्वामित्व में स्थित निगम/ राज्य सरकारों के उपक्रम
  • राज्य सरकारों द्वारा प्रायोजित/ समर्थित संगठन
  • पंचायती राज संस्थाएँ/ स्वयं सहायता समूह/ गैर-सरकारी संगठन (बशर्ते परियोजनाएँ राज्य सरकार के नोडल विभाग अर्थात् वित्त विभाग के माध्यम से प्रस्तुत की गई हों)

वित्तपोषण का तरीका

नाबार्ड मंजूर की गई राशि को प्रतिपूर्ति के आधार पर जारी करता है, सिवाय आरंभिक मोबिलाइजेशन अग्रिम के जो पूर्वोत्तर और पर्वतीय राज्यों के मामले में 30% और अन्य राज्यों के मामले में 20% होता है.

ऋण की प्रमात्रा और अपेक्षित मार्जिन राशि/ उधारकर्ता का अंशदान

ग्रामीण कनेक्टिविटी, सामाजिक और कृषि से सम्बंधित क्षेत्रों की परियोजना के मामले में परियोजना लागत के 80% से 95% तक ऋण दिया जाता है. मंजूरी के दो वर्ष के भीतर उचित कारणों से लागत में वृद्धि के प्रस्तावों पर विचार किया जाता है.

ब्याज दर:

01 अप्रैल 2012 से बैंकों द्वारा नाबार्ड में रखी गई जमाराशि पर बैंकों को देय और नाबार्ड द्वारा आरआईडीएफ से प्रदत्त ऋण पर प्राप्य ब्याज दर को तत्समय प्रभावी बैंक दर से जोड़ दिया गया है.

चुकौती अवधि:

ऋणों की चुकौती दो वर्ष की अनुकम्पा अवधि सहित सात वर्ष के भीतर समान वार्षिक किस्तों में करनी होती है. ब्याज का भुगतान अनुकम्पा अवधि सहित प्रति वर्ष प्रत्येक तिमाही के अंत में अर्थात् 31 मार्च, 30 जून, 30 सितम्बर और 31 दिसंबर को करना होता है.

दांडिक ब्याज:

अतिदेय ब्याज राशि पर मूल राशि पर लागू ब्याज दर के बराबर दर पर ब्याज का भुगतान करना होता है.

ऋण के लिए प्रतिभूति:

मंजूर किए गए ऋणों को भारतीय रिज़र्व बैंक/ किसी अन्य अनुसूचित वाणिज्यिक बैंक के पास पंजीकृत अ-प्रतिसंहरणीय प्राधिकार पत्र/ अधिदेश, मीयादी प्रॉमिसरी नोट (टीपीएन), राज्य सरकार से बिना शर्त गारंटी के निष्पादन (जो राज्य सरकारों द्वारा प्रायोजित संगठनों आदि को सहयोग देने के मामले में अतिरिक्त रूप से अपेक्षित होती है), और मंजूरी पत्र की द्वितीय प्रति में मंजूरी के निबंधनों और शर्तों को स्वीकार करने के माध्यम से प्रतिभूति-युक्त किया जाएगा.

आरआईडीएफ परियोजनाओं को चरणबद्ध करना:

परियोजना के प्रकार और राज्य की अवस्थिति के आधार पर मंजूर परियोजनाओं का कार्यान्वयन-चरण 2 से लेकर 5 वर्ष तक होता है.

अतिरिक्त जानकारी

हम क्या करते हैं