ग्रीन क्लाइमेट फंड (जीसीएफ) को यूएनएफसीसीसी के वित्तीय तंत्र की परिचालक संस्था के रूप में नामनिर्दिष्ट किया गया है. ग्रीन क्लाइमेट फंड (जीसीएफ) की स्थापना का निर्णय दिसंबर 2010 में कैनकुन में आयोजित सीओपी 16 के दौरान लिया गया था और 2011 में डरबन में आयोजित सीओपी 17 के दौरान उसे परिचालन में लाया गया. जीसीएफ का मुख्यालय सांगडो, इंचीयन, कोरिया गणराज्य में स्थित है.
संधारणीय विकास के सन्दर्भ में, इस निधि का लक्ष्य है विशेष रूप से जलवायु परिवर्तन के दुष्प्रभावों से ग्रस्त होने वाले विकासशील देशों की आवश्यकताओं को ध्यान में रखते हुए ग्रीन हाउस गैसों के उत्सर्जन को सीमित या कम करने और उन्हें जलवायु परिवर्तन के अनुकूल बनाने के लिए विकासशील देशों को सहयोग उपलब्ध कराते हुए कम उत्सर्जन और जलवायु सहन क्षमता से युक्त विकास की राह पर चलने को बढ़ावा देना है. यह निधि विकासशील देशों की ओर नए, अतिरिक्त, पर्याप्त और संभावित वित्तीय संसाधनों को चैनलाइज़ करने में प्रमुख भूमिका निभाएगी और अंतरराष्ट्रीय तथा राष्ट्रीय स्तर पर सार्वजनिक और निजी क्षेत्र से जलवायु वित्तपोषण को उत्प्रेरित करेगी. यह उम्मीद है कि इस वित्तपोषण से अनुकूलन, शमन (आरईडीडी प्लस सहित), प्रौद्योगिकीय विकास और अंतरण (कार्बन कैप्चर और भण्डारण सहित), क्षमता निर्माण और विकासशील देशों द्वारा राष्ट्रीय रिपोर्टें तैयार करने जैसे बढ़े हुए कार्यों को संभव बनाने और उन्हें सहयोग देने के लिए की जाने वाली गतिविधियों के लिए उन संपूर्ण और वृद्धिशील लागतों की पूर्ति हो जाएगी, जिनके लिए सहमति बनी है.
नाबार्ड को 9 जुलाई 2015 को आयोजित जीसीएफ बोर्ड की 10वीं बैठक में प्रत्यक्ष पहुँच वाली संस्था (डीएई) के रूप में प्रत्यायित किया गया और फिर 17-20 अक्टूबर 2022 के दौरान जीसीएफ बोर्ड की बैठक सं. बी.34 में नाबार्ड को डीएई के रूप में पुनः प्रत्यायित किया गया. नाबार्ड जीसीएफ के साथ संशोधित और पुनर्कथित प्रत्यायन मास्टर करार के निष्पादन की प्रक्रिया में है. इस करार के निष्पादन के बाद नाबार्ड निधीयन की अन्य खिडकियों, जैसे सरलीकृत अनुमोदन प्रक्रिया (एसएपी), निजी क्षेत्र सुविधा (पीएसएफ), आरईडीडी+ आदि तक पहुँचने के साथ-साथ मानक प्रस्ताव अनुमोदन प्रक्रिया (पीएपी) के अंतर्गत 250 मिलियन यूएस$ से अधिक के परिव्यय वाले बड़े आकार (तक) के प्रस्ताव प्रस्तुत करने के लिए पात्र हो जाएगा.
पात्र परियोजना प्रवर्तक निर्धारित फ़ॉर्मेट में परियोजना संकल्पनाएँ या प्रस्ताव क्षेत्रीय कार्यालयों के माध्यम से नाबार्ड को प्रस्तुत कर सकते हैं.