कृत्यों का निर्वहन नाबार्ड के नियमों और विनियमों, भारत सरकार और भारतीय रिज़र्व बैंक से प्राप्त दिशानिर्देशों और विभाग द्वारा जारी विभिन्न नीतिगत परिपत्रों में निर्धारित मानदंडों/ मानकों की संरचना के भीतर किया जाता है. विभिन्न कृत्यों के लिए मानदंडों की रूपरेखा निम्नानुसार है:
1 पुनर्वित्त – दीर्घावधि
1.1 पात्र संस्थाएँ
नाबार्ड अनुसूचित वाणिज्यिक बैंकों, क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों, राज्य सहकारी बैंकों, राज्य सहकारी कृषि और ग्रामीण विकास बैंकों, जिला मध्यवर्ती सहकारी बैंकों, प्राथमिक शहरी सहकारी बैंकों, लघु वित्त बैंकों, एनबीएफसी, एनबीएफसी-एमएफआई और भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा अनुमोदित किसी भी अन्य वित्तीय संस्था को पुनर्वित्त सहायता देता है.
1.2 पात्र प्रयोजन
नाबार्ड कृषि और कृषीतर दोनो क्षेत्रों की गतिविधियों के लिए पुनर्वित्त देता है.
1.3. पुनर्वित्त की प्रमात्रा
पुनर्वित्त की प्रमात्रा समय-समय पर निर्धारित हमारी पुनर्वित्त नीति के पात्रता-मानदंडों के अधीन होती है.
1.4 पुनर्वित्त पर ब्याज दर
निधियों की लागत, बाजार की स्थितियों आदि को ध्यान में रखते हुए समय-समय पर पुनर्वित्त पर ब्याज दर की समीक्षा की जाती है.
1.5 चुकौती अवधि
चुकौती अवधि 3 वर्ष से 5 वर्ष तक और उससे अधिक होती है.
2 पुनर्वित्त – मध्यावधि
2.1. पात्र संस्थाएँ - सभी अनुसूचित वाणिज्यिक बैंक, क्षेत्रीय ग्रामीण बैंक, राज्य सहकारी बैंक, राज्य सहकारी कृषि और ग्रामीण विकास बैंक, जिला मध्यवर्ती सहकारी बैंक, प्राथमिक शहरी सहकारी बैंक, लघु वित्त बैंक, एनबीएफसी, एनबीएफसी-एमएफआई और भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा अनुमोदित कोई भी अन्य वित्तीय संस्था
2.2 पात्र प्रयोजन
कृषि और अनुषंगी गतिविधियों से सम्बंधित मध्यावधि प्रयोजनों के अंतर्गत सभी निवेश गतिविधियाँ पात्र हैं.
2.3. पुनर्वित्त की प्रमात्रा
पुनर्वित्त की प्रमात्रा समय-समय पर निर्धारित हमारी पुनर्वित्त नीति के पात्रता- मानदंडों के अधीन होती है.
2.4 पुनर्वित्त पर ब्याज दर
निधियों की लागत, बाजार की स्थितियों आदि को ध्यान में रखते हुए समय-समय पर पुनर्वित्त पर ब्याज दर की समीक्षा की जाती है.
2.5 चुकौती अवधि
न्यूनतम चुकौती अवधि 18 माह और अधिकतम 3 वर्ष है.
3.दीर्घावधि ग्रामीण ऋण निधि:
इस निधि की घोषणा भारत सरकार द्वारा संघीय बजट 2014-15 में की गई ताकि सहकारी बैंकों और क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों को रियायती ब्याज दर पर किसानों को सावधि कृषि ऋण देने के लिए प्रोत्साहित किया जा सके. यह निधि रु.5000 करोड़ के आरंभिक आबंटन से स्थापित की गई थी. 2022-23 के दौरान इस निधि के अंतर्गत रु.15000 करोड़ आबंटित किए गए. नाबार्ड इस निधि से सहकारी बैंकों और क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों को पुनर्वित्त सुविधा देता है ताकि वे किसानों को रियायती ब्याज दर पर सावधि कृषि ऋण देने में समर्थ हो सकें
4.पुनर्वित्त –अल्पावधि
4.1-अल्पावधि (मौसमी कृषि परिचालन)
किसानों को समय पर ऋण की उपलब्धता सुनिश्चित करने के लिए बैंकों द्वारा ऋण देने की उत्पादन-उन्मुख प्रणाली का अनुसरण किया जाता है. इस प्रणाली में ऋण आवश्यकता के आकलन और उर्वरकों, कीटनाशकों आदि जैसी निविष्टियों की खरीद के लिए ऋण के प्रावधान जैसी विशेषताएँ हैं. इसके अंतर्गत प्रत्येक फसल और जिले के लिए वित्तमान तय किए जाते हैं और ऋण देने और उसकी वसूली में फसल के मौसम का पालन सुनिश्चित किया जाता है. वार्षिक ऋण सीमा की मंजूरी के माध्यम से क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों और जिला मध्यवर्ती सहकारी बैंकों के लिए राज्य सहकारी बैंकों को वार्षिक ऋण सीमा की मंजूरी के जरिये उत्पादन के प्रयोजन से रियायती ब्याज दर पर पुनर्वित्त उपलब्ध कराया जाता है. मंजूर की गई ऋण सीमा से प्रत्येक आहरण 12 माह की अवधि के भीतर चुकौती-योग्य होता है.
पुनर्वित्त भारत सरकार/ भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा अनुसूचित वाणिज्यिक बैंकों के प्राथमिकता क्षेत्र ऋणीकरण में की गई कमी की राशि से गठित अल्पावधि सहकारी ऋण (एसटीसीआरसी) निधि और अल्पावधि क्षेग्रा बैंक (एसटीआरआरबी) पुनर्वित्त निधि से दिया जाता है.
4.2 अल्पावधि ऋण पुनर्वित्त निधि: एसटीसीआरसी और एसटीआरआरबी
इस निधि का उद्देश्य अल्पावधि (मौसमी कृषि परिचालन) हेतु सहकारी बैंकों और क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों को पुनर्वित्त उपलब्ध कराने के लिए नाबार्ड के संसाधनों में वृद्धि करना है. इस निधि में ऐसे अनुसूचित वाणिज्यिक बैंक अंशदान करते हैं जिन्होंने रिज़र्व बैंक द्वारा समय-समय पर प्राथमिकता क्षेत्र के लिए निर्धारित लक्ष्यों और उप-लक्ष्यों को हासिल करने में कमी की हो. तदनुसार बैंक प्रत्येक वर्ष के बजट में घोषित समूह निधि में अंशदान करते हैं. नाबार्ड सहकारी बैंकों और क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों को यह अल्पावधि पुनर्वित्त उपलब्ध कराने के लिए खुले बाजार से उधार लेकर इस निधि की अनुपूर्ति करता है. वर्ष 2023-24 के दौरान एसटीसीआरसी निधि के अंतर्गत रु.50063.50 करोड़ और एसटीआरआरबी निधि के अंतर्गत रु.15005.25 करोड़ आबंटित किए गए.
4.3 अतिरिक्त अल्पावधि (मौसमी कृषि परिचालन)
यदि बैंक सूखे की स्थितियों और माँग में वृद्धि, मध्यवर्ती सहकारी बैंकों द्वारा जमाराशि का आहरण कर लेने आदि कारणों से तरलता की कमी अनुभव करते हैं, तो ऐसी स्थितियों के लिए नाबार्ड ने 2016-17 में एक नई ऋण सीमा शुरू की ताकि राज्य सहकारी बैंकों और क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों को सामान्य अल्पावधि (मौसमी कृषि परिचालन) पुनर्वित्त सीमा के ऊपर अतिरिक्त अल्पावधि (मौसमी कृषि परिचालन) पुनर्वित्त उपलब्ध कराया जा सके.
4.4 अल्पावधि (अन्य) और बुनकर
बैंको को अल्पावधि (अन्य) और बुनकर सीमा मंजूर की जाती है ताकि वे अल्पावधि (मौसमी कृषि परिचालन) सीमा में शामिल प्रयोजनों से इतर प्रयोजनों, नामतः कृषि और अनुषंगी गतिविधियों, फसलों के विपणन, मात्स्यिकी क्षेत्र आदि के लिए और प्राथमिक/ शीर्ष/ क्षेत्रीय बुनकर सहकारी समितियों, राज्य हथकरघा विकास निगम आदि की कार्यशील पूँजी आवश्यकताओं के लिए अल्पावधि ऋण उपलब्ध करा सकें.
5. पुनर्वित्त – मध्यावधि परिवर्तन
प्राकृतिक आपदाओं से प्रभावित किसानों के, मध्यावधि स्थिरीकरण व्यवस्था के अंतर्गत परिवर्तित/ पुन:अनुसूचित/ पुनःचरणीकृत किए गए ऋणों के समक्ष राज्य सहकारी बैंकों और क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों को पुनर्वित्त सुविधा उपलब्ध है. राज्य सहकारी बैंक के मामले में परिवर्तन सुविधा में नाबार्ड की भागीदारी 60%, राज्य सरकार की 15% और राज्य सहकारी बैंक की 25% होती है और क्षेत्रीय ग्रामीण बैंक के मामले में नाबार्ड की भागीदारी 70%, प्रायोजक बैंक की 25% और क्षेत्रीय ग्रामीण बैंक की 5% होती है.
6. राज्य सरकार को दीर्घावधि ऋण
नाबार्ड सहकारी ऋण संस्थाओं (राज्य/ जिला मध्यवर्ती सहकारी बैंक, राज्य/ प्राथमिक सहकारी कृषि और ग्रामीण विकास बैंक, पैक्स, एफएसएस, लैम्प्स) की शेयर पूँजी में अंशदान के लिए राज्य सरकार को 12 वर्ष तक के लिए दीर्घावधि ऋण उपलब्ध कराता है ताकि इन संस्थाओं के शेयर पूँजी आधार को मजबूत किया जा सके और इस प्रकार उनकी ऋण लेने की शक्ति बढे और वे कुछ शर्तों के अधीन बृहत्तर ऋणीकरण कार्यक्रम चलाने में समर्थ हों.
7. भारत सरकार की योजना के अंतर्गत 7% वार्षिक की दर पर फसल ऋण के वित्तपोषण के लिए ब्याज सहायता योजना–
भारत सरकार ने वर्ष 2006-07 में ब्याज सहायता योजना शुरू की थी. वि.वर्ष 2022-23 से 2023-24 के लिए भारत सरकार के विद्यमान दिशानिर्देशों के अनुसार: सरकारी क्षेत्र के बैंकों और निजी क्षेत्र के बैंकों (उनके द्वारा ग्रामीण और अर्ध-शहरी क्षेत्रों में प्रात्त ऋणों के मामले मैं), सहकारी बैंकों और क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों को प्रति किसान रु.3,00,000 तक के उनकी अपनी निधियों से प्रदत्त ऋणों के लिए 1.5% वार्षिक की ऋण सहायता दी जाती है, बशर्ते उधारदाता संस्थाएँ आधार स्तर पर किसानों को 7% वार्षिक की दर पर अल्पावधि ऋण उपलब्ध कराएँ.
उक्त के अतिरिक्त, 2009-10 से समय पर चुकौती करने वाले किसानों को अतिरिक्त ब्याज सहायता देने की योजना शुरू की गई जिसमें वर्तमान में समय पर चुकौती करने वाले किसानों को प्रोत्साहन के रूप में 3% की ब्याज सहायता दी जाती है. यह सहायता किसानों को वर्ष के दौरान अधिकतम रु.3.00 लाख तक के अल्पावधि उत्पादन ऋणों पर और एएच एंड एफ की कार्य शील पूंजी की आवश्यकता के लिए 2 लाख रुपये तक की उप-सीमा, अधिकतम सीमा 3 लाख रुपये क्र.सं. विवरण सूचना के अधीन दी जाती है. इस प्रकार समय पर चुकौती करने वाले किसानों को विभिन्न बैंकों से 4% वार्षिक की दर पर अल्पावधि उत्पादन ऋण मिल रहा है.
किसानों द्वारा मजबूरी में अपनी उपज बेचने को हतोत्साहित करने और उन्हें गोदामों में अपनी उपज का भंडारण करने के लिए प्रोत्साहित करने के लिए, बैंकों के लिए 1.5% की दर से ब्याज छूट का लाभ उपलब्ध है, जिससे वे किसान क्रेडिट कार्ड वाले छोटे और सीमांत किसानों को छह महीने तक ऋण देने में सक्षम हो जाते हैं। फसल की कटाई के बाद और वेयरहाउसिंग डेवलपमेंट रेगुलेटरी अथॉरिटी से मान्यता प्राप्त गोदामों में संग्रहीत उपज के लिए जारी की गई परक्राम्य वेयरहाउस रसीदों के आधार पर ऋण उपलब्ध है।
प्राकृतिक आपदाओं से प्रभावित किसानों को राहत देने के लिए बैंकों को पुन:संरचित ऋणों पर पहले वर्ष के लिए ब्याज सहायता उपलब्ध कराई जाएगी. ऐसे पुन:संरचित ऋणों पर भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा निर्धारित नीति के अनुसार दूसरे वर्ष से सामान्य ब्याज दर लगेगी. कृषि और किसान कल्याण मंत्रालय, भारत सरकार ने 25 अगस्त 2022 के अपने एफ. सं. 1-4/2020 – क्रेडिट -I के माध्यम से बैंकों को दी जाने वाली ब्याज सहायता में आशोधन किया है. वि.वर्ष 2022-23 से 2023-24 के लिए: सहकारी बैंकों, क्षेग्रा बैंकों, लघु वित्त बैंकों, वाणिज्यिक बैंकों को कृषि और पशुपालन, डेयरी, मात्स्यिकी, मधुमक्खी पालन आदि सहित अनुषंगी क्षेत्रों के लिए अपनी निधि का उपयोग करते हुए प्रदत्त ऋणों हेतु 1.5% ब्याज सहायता देय होगी, बशर्ते बैंक 7% पर ऋण देते हों
8.पशुपालन और मात्स्यिकी की कार्यशील पूँजी पर ब्याज सहायता
भारत सरकार ने फसल ऋण लेने वाले किसानों को जारी केसीसी पर लागू ब्याज सहायता को 2018-19 से केसीसी धारक पशुपलाक और मत्स्य किसानों के मामले में भी लागू किया था. फसल ऋण के लिए विद्यमान केसीसी से अलग पशुपालक और मत्स्य किसानों को प्रदत्त अल्पावधि ऋणों पर बैंकों को 2% की ब्याज सहायता (वि.वर्ष 2022-23 और 2023-24 के लिए 1.5% की ब्याज सहायता) और समय पर चुकौती के लिए प्रोत्साहन के रूप में किसानों को 3% की ब्याज सहायता दी जाती है, बशर्ते बैंकों द्वारा 7% वार्षिक की दर पर ऋण दिए गए हों. फसलोत्पादन के लिए केसीसी रखने वाले जो किसान पशुपालन या मात्स्यिकी गतिविधियों में भी लगे हों, उनके मामले में ब्याज सहायता रु.3.00 लाख वार्षिक की समग्र सीमा तक ही उपलब्ध है.
9. किसान क्रेडिट कार्ड -
किसान क्रेडिट कार्ड (केसीसी) योजना 1998-99 में एक नवोन्मेषी ऋण प्रदाय तंत्र के रूप में शुरू की गई थी जिसका लक्ष्य किसानों को आवश्यक निविष्टियों की खरीद सहित खेती के लिए लचीले, सुविधाजनक और किफायती तरीके से पर्याप्त और समय पर बैंकिंग प्रणाली से ऋण सहायता उपलब्ध कराना था. बैंकों को सूचित किया गया है कि वे सभी पात्र किसानों को केसीसी जारी करें. केसीसी योजना को एक बार के दस्तावेजीकरण, ऋण सीमा में लागत वृद्धि के अनुरूप वृद्धि की अन्तर्निहित व्यवस्था, एटीएम-समर्थित डेबिट कार्ड आदि सुविधाओं के माध्यम से सरल बनाया गया है. केसीसी के विद्यमान दिशानिर्देशों के अंतर्गत ऋण सीमा 05 वर्ष के लिए मंजूर की जाती है और लाभार्थियों के लिए आहरण और चुकौती को आसान और लचीला बनाया गया है.
जैसा कि प्रधान मंत्री आत्मनिर्भर पैकेज में घोषित किया गया, वर्तमान में चल रहे केसीसी संतृप्ति अभियान के तहत 1.47 करोड़ किसानों को शामिल किया जा चुका है जिसके तहत सहकारी बैंकों और क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों द्वारा रु.1.42 लाख करोड़ से अधिक की ऋण सीमा मंजूर की गई है. जहाँ इस अभियान से किसानों तक सुविधापूर्वक और किफायती ऋण पहुँचाना सुनिश्चित होगा, वहीं किसानों की आमदनी के स्तर में वृद्धि के साथ-साथ इससे ग्रामीण अर्थव्यवस्था संचालित होगी और कृषि उत्पादन तथा अनुषंगी गतिविधियाँ की गति में तेजी आएगी.
10. एथेनॉल उत्पादन क्षमता बढ़ाने के लिए चीनी मिलों को वित्तीय सहायता देने की योजना
योजना के दिशानिर्देशों के अनुसार, खाद्य और सार्वजानिक वितरण विभाग (डीएफपीडी) इस योजना के अंतर्गत परियोजनाओं के कार्यान्वयन को सैद्धांतिक अनुमोदन प्रदान करता है. चीनी मिलों को परियोजनाओं के कार्यान्वयन के लिए बैंक ऋण हेतु बैंकों से संपर्क करना पड़ता है. नाबार्ड को डीएफपीडी, भारत सरकार के साथ संवाद करने और योजना के अंतर्गत ब्याज सहायता के प्रबंधन के लिए नोडल एजेंसी नियुक्त किया गया है.
योजना के अंतर्गत सहायता: बैंक द्वारा दिए जाने वाले ऋण पर 6% वार्षिक की दर पर या ब्याज दर के 50% में से जो भी कम हो, उस दर पर ब्याज का वहन एक वर्ष की आस्थगन अवधि सहित केवल पाँच वर्षों के लिए भारत सरकार द्वारा किया जाएगा.
पात्र संस्थाएँ: सरकारी क्षेत्र के सभी बैंक, निजी वाणिज्यिक बैंक, अनुसूचित शहरी सहकारी बैंक, सहकारी बैंक, क्षेत्रीय ग्रामीण बैंक, राष्ट्रीय सहकारिता विकास निगम, भारतीय नवीकरणीय ऊर्जा विकास एजेंसी, और कोई भी अन्य वित्तीय संस्था, जो नाबार्ड से पुनर्वित्त के लिए पात्र है, पात्र चीनी मिलों की ओर से योजना के अंतर्गत ब्याज सहायता का दावा करने के लिए पात्र हैं.
11. पूँजी निवेश सब्सिडी योजनाएँ -
नाबार्ड भारत सरकार द्वारा कार्यान्वित विभिन्न सरकार-प्रायोजित योजनाओं के लिए सब्सिडी पहुँचाने हेतु माध्यम एजेंसी है जिनका विवरण निम्नानुसार है:
(i) समन्वित कृषि विपणन योजना (आईएसएएम) की कृषि विपणन आधारभूत संरचना उप-योजना
(ii) कृषि-क्लीनिक और कृषि-व्यवसाय केंद्र (एसीएबीसी)
सब्सिडी कार्यक्रमों के निष्पादन सम्बन्धी मानदंड मद सं. (xii) में दिए गए हैं.
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