(i) |
विभाग के संगठन, कृत्यों और कर्तव्यों के अलग-अलग विवरण |
संगठन: पर्यवेक्षण विभाग, नाबार्ड, प्रधान कार्यालय, मुंबई, टेली: 022 – 26541834; फैक्स:
022-26530103; ई-मेल:dos@nabard.org
कृत्य और कर्त्तव्य:
बैंककारी विनियमन अधिनियम, 1949 की धारा 35(6) नाबार्ड को राज्य सहकारी (रास) बैंकों, मध्यवर्ती सहकारी
(मस) बैंकों और क्षेत्रीय ग्रामीण (क्षेग्रा) बैंकों का निरीक्षण करने की शक्ति देती है. नाबार्ड, इसके
अतिरिक्त, राज्य सहकारी कृषि और ग्रामीण (रासकृग्रावि) बैंक, शीर्ष बुनकर समितियों, विपणन महासंघों आदि
जैसी राज्य-स्तरीय सहकारी संस्थाओं का निरीक्षण भी स्वैच्छिक आधार पर करता है.
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(ii) |
विभाग के अधिकारियों और कर्मचारियों की शक्तियाँ और कर्त्तव्य |
बैंककारी विनियमन अधिनियम, 1949 (सहकारी समितियों पर यथा-लागू) के अंतर्गत नाबार्ड को रास बैंकों, जिला मध्यवर्ती सहकारी (जिमस) बैंकों और क्षेग्रा बैंकों के निरीक्षण का दायित्व सौंपा गया है. विनियामक शक्तियाँ भारतीय रिज़र्व बैंक में निहित बनी हुई हैं. पर्यवेक्षण विभाग अध्यक्ष, उप प्रबंध निदेशक और मुख्य महाप्रबंधक के समग्र पर्यवेक्षण और मार्गदर्शन में कार्य करता है.
विभिन्न राज्यों में निरीक्षण और पर्यवेक्षण सम्बन्धी कार्यों की दृष्टि से विभाग में पाँच अंचल हैं – पूर्वी, पश्चिमी, दक्षिणी, उत्तरी-I और उत्तरी-II. प्रत्येक अंचल में विभिन्न राज्य आते हैं. प्रत्येक अंचल एक महाप्रबंधक के नियंत्रण में है जिनकी सहायता के लिए उप महाप्रबंधकों, सहायक महाप्रबंधकों, प्रबंधकों और सहायक प्रबंधकों के साथ अन्य सहायक स्टाफ भी हैं.
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(iii) |
विभाग में विनिश्चय करने की प्रक्रिया में पालन की जाने वाली प्रक्रिया जिसमें पर्यवेक्षण और
उत्तरदायित्व के माध्यम सम्मिलित हैं. |
प्रधान कार्यालय और क्षेत्रीय कार्यालयों में कार्यों का पूर्ण विकेंद्रीकरण किया गया है. संविधिक
निरीक्षण की रिपोर्टें नाबार्ड के क्षेत्रीय कार्यालयों द्वारा जारी की जाती हैं और उनकी एक प्रति
विनियमन विभाग (डीओआर), भारतीय रिज़र्व बैंक को भेजी जाती है. क्षेत्रीय कार्यालयों द्वारा जारी की
गई सभी रिपोर्टों की प्रतियाँ नाबार्ड के प्रधान कार्यालय में प्राप्त की जाती हैं और नाबार्ड
द्वारा जारी किए गए निरीक्षण दिशानिर्देशों/ मैनुअल के अनुरूप ग्रेड ‘बी’ और ‘सी’ अधिकारियों द्वारा
उनकी गुणवत्ता की संवीक्षा की जाती है तथा उन्हें सम्बंधित अंचलों के उप महाप्रबंधकों के माध्यम से
महाप्रबंधक को प्रस्तुत किया जाता है. इसके बाद पर्यवेक्षित संस्था को लाइसेंस मंजूर करने/ जारी
रखने या अन्यथा (लाइसेंस न मंजूर करने/ जारी न रखने) के संबंध में प्रधान कार्यालय की अनुशंसा
(एचओआर) के साथ उन्हें भारतीय रिज़र्व को प्रेषित किया जाता है. जारी दिशानिर्देशों के आशय के बारे
में मत-भिन्नता की स्थिति में मामले को समुचित निर्णय के लिए मुख्य महाप्रबंधक के समक्ष रखा जाता
है. इसी प्रकार, प्रधान कार्यालय द्वारा किए गए निरीक्षणों की रिपोर्टों की समीक्षा सहायक
महाप्रबंधक/ उप महाप्रबंधक द्वारा की जाती है और उन्हें अंतिम रूप देने के लिए महाप्रबंधक को
प्रस्तुत किया जाता है. उसके बाद, मुख्य महाप्रबंधक के अनुमोदन से उन निरीक्षण रिपोर्टों पर अनुशंसा
नोट के साथ उन्हें भारतीय रिज़र्व को आवश्यक कार्रवाई के लिए प्रेषित किया जाता है.
आवधिक विवरणियों और एक अ.शा. पत्र के माध्यम से निरीक्षण के संचालन के बारे में क्षेत्रीय कार्यालयों
से प्रतिसूचना प्राप्त की जाती है.
मुख्य महाप्रबंधक नियमित रूप से मासिक समीक्षा बैठकों में सम्बंधित अंचलों के कामकाज की राज्य-वार
समीक्षा करते हैं. भारतीय रिज़र्व बैंक से किसी अवज्ञा करने वाले बैंक के विरुद्ध विनियामकीय
कार्रवाई शुरू करने की अनुशंसा करने से पहले ऐसे मामले की गंभीरता के आधार पर उसे शीर्ष प्रबंधन के
समक्ष प्रस्तुत किया जाता है.
नाबार्ड का निदेशक बोर्ड और पर्यवेक्षण बोर्ड विभाग के कामकाज की आवधिक समीक्षा करते हैं और समय-समय
पर नाबार्ड की पर्यवेक्षकीय भूमिका के संबंध में आवश्यक नीतिगत दिशानिर्देश देते हैं.
पर्यवेक्षित संस्थाओं को विवेकपूर्ण मानदंडों के अंतरराष्ट्रीय मानकों के अनुरूप बनाने के लिए प्रधान
कार्यालय, नाबार्ड ने “ट्रिगर बिंदु” निर्धारित किए हैं जो निम्नलिखित मानकों के आधार पर सहकारी
बैंकों और क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों पर असर डालते हैं:
- अनर्जक आस्तियों का स्तर
- जोखिम-भारित अस्तियों से पूँजी का अनुपात (सीआरएआर)
- आस्तियों के मूल्य में क्षरण/ न्यूनतम पूँजी मानदंडों का पालन न करना
- लाभप्रदता
- तरलता
- प्रबंधन और अभिशासन
- प्रणालियाँ (आतंरिक जाँच और नियंत्रण)
- विभिन्न अधिनियमों/ नियमावलियों/ भारतीय रिज़र्व बैंक के निर्देशों/ नाबार्ड के पर्यवेक्षकीय
अनुदेशों/ निरीक्षण रिपोर्टों/ लेखापरीक्षाओं/ सहमति ज्ञापन (एमओयू) की बाध्यताओं का अनुपालन
उपर्युक्त मानदंड मापने योग्य और अनुप्रवर्तनीय हैं और जैसे ही उपर्युक्त में से किसी भी मानदंड के
अंतर्गत कोई बैंक ट्रिगर बिंदु पर पहुँचता है, सम्बंधित अंश को ठीक करने के लिए लक्षित कार्रवाई की
जाती है.
पर्यवेक्षण विभाग ने 12 जुलाई 2022 को शुरू किए गए एक एप्लिकेशन “सुपरसॉफ्ट” के माध्यम से सम्पूर्ण
पर्यवेक्षकीय प्रक्रिया का डिजिटलीकरण कर दिया है. सभी निरीक्षण सुपरसॉफ्ट के माध्यम से संचालित किए
जाते हैं. इस प्रणाली को इस प्रकार डिजाइन किया गया है कि निरीक्षण रिपोर्ट मैनुअल तरीके के साथ-साथ
डिजिटल रूप में भी पर्यवेक्षित संस्था को जारी की जाती है. सुपरसॉफ्ट के माध्यम से मद-वार अनुपालन
प्रस्तुत किया जा सकता है, रिपोर्ट के संतोषप्रद समापन/ आगे और अनुपालन प्राप्त करने के लिए हमारी
ओर से की जाने वाली संवीक्षा भी की जा सकती है और साथ ही, इसमें प्रेक्षणों को आगामी निरीक्षण चक्र
तक आगे ले जाने की भी व्यवस्था है जिससे आकलन की निरंतरता बनी रहती है. डिजिटलीकरण ने पर्यवेक्षकीय
प्रक्रिया को सहज बना दिया है.
नाबार्ड बैंकों के ऑन-साइट निरीक्षण के दौरान कैमेलसेक पद्धति यानी पूँजी पर्याप्तता, आस्ति
गुणवत्ता, प्रबंधन, अर्जन, तरलता, प्रणाली और अनुपालन के आधार पर उनकी रेटिंग की एक प्रणाली का
अनुसरण करता है. नाबार्ड द्वारा जोखिम-आधारित निरीक्षण पर 2019 में गठित एक कार्य समूह की अनुशंसा
के अनुसार नाबार्ड ने जोखिम-आधारित निरीक्षण पर जाने के पूर्व एक अंतरिम तंत्र के रूप में “वर्धित
कैमेलसेक’ पर आधारित एक पर्यवेक्षकीय रेटिंग मॉडल विकसित किया है.
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(iv) |
अपने कृत्यों के निर्वहन के लिए विभाग द्वारा स्थापित मानदंड |
नाबार्ड का प्रधान कार्यालय हर वर्ष अपने क्षेत्रीय कार्यालयों से निरीक्षण बजट मँगाता है और
संवीक्षा के बाद प्रति वर्ष मार्च के पहले निरीक्षण बजट को अनुमोदित करता है. निरीक्षण की आवधिकता
से सम्बंधित दिशानिर्देश निम्नानुसार हैं:
- (i) सभी रास बैंकों, क्षेग्रा बैंकों और रासकृग्रावि बैंकों का निरीक्षण वार्षिक रूप से किया
जाएगा.
- (ii) रु.3000 करोड़ से अधिक व्यवसाय प्रमात्रा वाले और सी और डी रेटिंग वाले जिमस बैंकों का
निरीक्षण वार्षिक रूप से किया जाएगा.
- (iii) ऊपर बिंदु सं. (ii) में शामिल न होने वाले और रेटिंग में 50 से अधिक अंक वाले जिमस बैंकों
का निरीक्षण दो वर्ष में एक बार किया जाएगा.
- (iv) पूर्ववर्ती निरीक्षण रिपोर्ट के अनुसार, बैंककारी विनियमन अधिनियम, 1949 (सहकारी समितियों
पर यथा-लागू) की धारा 11(1) का पुनः अनुपालन करते पाए जाने वाले मस बैंकों/ रास बैंकों का
निरीक्षण परवर्ती वर्ष में भी किया जाएगा.
- (v) जोखिम आधारित पर्यवेक्षण में स्थानांतरित होने से पहले एक अंतरिम दृष्टिकोण के रूप में, सभी क्षेग्राबैंक, सभी अनुसूचित एसटीसीबी (24) और कुछ उद्देश्य मानदंडों के आधार पर डीसीसीबी और गैर-अनुसूचित एसटीसीबी को एनहैन्स्ड CAMELSC आधारित पर्यवेक्षी दृष्टिकोण के अधीन प्रत्येक वर्ष किया जाएगा।
- (vi)नाबार्ड का प्रधान कार्यालय चयनात्मक आधार पर भी कुछ रास बैंकों/ मस बैंकों/ क्षेहरा बैंकों
का निरीक्षण करेगा.
अपने कृत्यों के दक्षतापूर्वक निर्वहन के लिए प्रधान कार्यालय/ क्षेत्रीय कार्यालयों के अधिकारी
बैंकों के निरीक्षण के लिए निरीक्षण टीमों का गठन करते हैं.
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(v) |
विभाग द्वारा या विभाग के नियंत्रणाधीन धारित या विभाग के कर्मचारियों द्वारा अपने कृत्यों के निर्वहन
के लिए प्रयोग किए गए नियम, विनियम, अनुदेश, निर्देशिका और अभिलेख |
नाबार्ड द्वारा पर्यवेक्षित बैंकों को विभिन्न विनियामावालियों/ अधिनियमों का अनुपालन करना पड़ता है
जिसका उद्देश्य प्रभावी और सहज परिचालन के साथ-साथ इन विनियामावालियों/ अधिनियमों में निर्धारित
मानदंडों, और साथ ही, विनियामकीय प्राधिकरणों द्वारा निम्नानुसार निर्धारित मानदंडों के अनुसार अपनी
गतिविधियों का संचालन करना है:
क्र.सं. |
विनियमावली/ अधिनियम का नाम |
अंतिम विनियामक प्राधिकरण |
1 |
बैंककारी विनियमन अधिनियम, 1949. |
भारतीय रिज़र्व बैंक |
2 |
भारतीय रिज़र्व बैंक अधिनियम, 1934 |
भारतीय रिज़र्व बैंक |
3 |
सम्बंधित राज्य सरकार द्वारा निर्धारित सहकारी सोसायटी अधिनियम |
रजिस्ट्रार, राज्य की सहकारी समितियाँ |
4 |
सहकारी बैंकों के उप-नियम |
रजिस्ट्रार, राज्य की सहकारी समितियाँ |
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(vi) |
विभाग द्वारा या विभाग के नियंत्रणाधीन धारित दस्तावेजों के प्रवर्गों का विवरण |
नाबार्ड किसी संविदागत बाध्यता वाला कोई दस्तावेज धारित नहीं करता/ नहीं रखता. लेकिन, चूँकि बैंकों
का निरीक्षण बैंककारी विनियमन अधिनियम, 1949 की धारा 35(6) के अंतर्गत किया जाता है, इसलिए
निम्नलिखित सांविधिक दस्तावेज नाबार्ड में रखे जाते हैं:
निरीक्षण रिपोर्ट – इस दस्तावेज में निरीक्षण के क्रम में निरीक्षण अधिकारी द्वारा बैंक के कामकाज/
कार्यनिष्पादन के विभिन्न पहलुओं पर दर्ज किए गए निष्कर्ष होते हैं.
अनुशंसात्मक नोट – इस दस्तावेज में निरीक्षण के दौरान के निष्कर्षों और बैंक द्वारा विभिन्न सांविधिक
उपबंधों, विशेष रूप से न्यूनतम पूँजी अपेक्षा, संविधिक नकदी प्रारक्षित निधि अनुपात/ संविधिक तरलता
अनुपात से सम्बंधित उपबन्धों के अनुपालन का सार होता है तथा यह भी निर्दिष्ट किया जाता है कि बैंक
के परिचालन की पद्धतियाँ जमाकर्ताओं के हितों के प्रतिकूल हैं या नहीं, आदि. अनुपालन/ अननुपालन के
स्तर के आधार पर निरीक्षण अधिकारी यह अनुशंसा करता है कि भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा बैंककारी
विनियमन अधिनियम, 1949 की धारा 22 के अंतर्गत बैंक को लाइसेंस जारी किया जाए, या उसके लाइसेंस आवेदन
को स्थगन में रखा जाए, या उसे अस्वीकृत कर दिया जाए.
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(vii) |
ऐसी व्यवस्थाओं के अलग-अलग विवरण जो विभाग की नीति की संरचना या उसके कार्यान्वयन के संदर्भ में जनता के सदस्यों से परामर्श या उनके द्वारा अभ्यावेदन के लिए विद्यमान हैं. |
- 1. विभाग का प्राथमिक कृत्य है, रास बैंकों, जिमस बैंकों, क्षेग्रा बैंकों, रासकृग्रावि बैंकों का, 31 मार्च की स्थिति के अनुसार उनकी वित्तीय स्थिति के सन्दर्भ में निरीक्षण करना. इसलिए हमें सीधे आम जनता के साथ कोई व्यवहार नहीं करना होता.
- 2. यदि जनता के किसी सदस्य को हमारे द्वारा निरीक्षित बैंक के विरुद्ध कोई शिकायत/ परिवाद है, तो वह अपनी शिकायत नाबार्ड के पास दर्ज करा सकता/ सकती है. निरीक्षण के दौरान ऐसी शिकायतों/ परिवादों की पड़ताल की जाती है.
- 3. नाबार्ड को उपर्युक्त बैंकों के कामकाज के संबंध में शिकायतें/ परिवाद प्राप्त होते हैं. निरीक्षण के दौरान इन्हें देखा जाता है, लेकिन इन मामलों को सम्बंधित बैंक के साथ नियमित रूप से उठाया जाता है. बैंकों से प्राप्त उत्तरों के आधार पर शिकायतकर्ताओं को समुचित रूप से सूचित किया जाता है.
- 4. विभाग आम जनता के साथ कोई परामर्श नहीं करता.
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(viii) |
ऐसे बोर्डों, परिषदों, समितियों या अन्य निकायों के, जिनमें दो या अधिक व्यक्ति हैं, जिनका विभाग के भागरूप में या इस विषय में सलाह देने के प्रयोजन के लिए गठन किया गया है, और इस विषय में, कि क्या उन बोर्डों, परिषदों, समितियों या अन्य निकायों की बैठकें जनता के लिए खुली होंगी या ऐसी बैठकों के कार्यवृत्त तक जनता की पहुँच होगी, विवरण |
पर्यवेक्षण बोर्ड
राष्ट्रीय कृषि और ग्रामीण विकास बैंक अधिनियम, 1981 (1981 का अधिनियम 61) की धारा 13 की उप-धारा 3 में निहित शक्तियों का प्रयोग करते हुए, नाबार्ड के निदेशक बोर्ड ने सहकारी बैंकों और क्षेग्रा बैंकों के पर्यवेक्षण से सम्बंधित मामलों पर नीतिगत दिशानिर्देश और निर्देश प्रदान करने के लिए पर्यवेक्षण बोर्ड (रास बैंकों, जिमस बैंकों और क्षेग्रा बैंकों के लिए) नामक एक समिति गठित की.
समिति का संघटन
पर्यवेक्षण बोर्ड में निम्नलिखित सदस्य हैं:
I |
अध्यक्ष, नाबार्ड |
अध्यक्ष |
II |
पर्यवेक्षण विभाग, नाबार्ड के प्रभारी उप प्रबंध निदेशक |
सदस्य |
III |
उप प्रबंध निदेशक, नाबार्ड |
सदस्य |
IV |
पर्यवेक्षण के प्रभारी कार्यपालक निदेशक, भारतीय रिज़र्व बैंक |
सदस्य |
V |
अधिमानतः मुंबई से काम करने वाला एक चार्टर्ड अकाउंटेंट जिसे अध्यक्ष या उनकी अनुपस्थिति में पर्यवेक्षण विभाग, नाबार्ड के प्रभारी उप प्रबंध निदेशक द्वारा नामित किया जाएगा. |
सदस्य |
VI |
सहकारी बैंकिंग का एक विशेषज्ञ या लब्धप्रतिष्ठ सहकारिताकर्मी जो किसी संस्था का प्रतिनिधित्व नहीं करता हो, जिसे अध्यक्ष या उनकी अनुपस्थिति में पर्यवेक्षण विभाग, नाबार्ड के प्रभारी उप प्रबंध निदेशक द्वारा नामित किया जाएगा. |
सदस्य |
VII |
एक अनुभवी वाणिज्यिक बैंकर जिसे अध्यक्ष या उनकी अनुपस्थिति में पर्यवेक्षण विभाग, नाबार्ड के प्रभारी उप प्रबंध निदेशक द्वारा नामित किया जाएगा. |
सदस्य |
VIII |
मुख्य महाप्रबंधक, पर्यवेक्षण विभाग, नाबार्ड |
सदस्य-सचिव |
पर्यवेक्षण बोर्ड की शक्तियाँ और कृत्य
- (i) पर्यवेक्षण और निरीक्षण से सम्बंधित मामलों में निर्देश और मार्गदर्शन उपलब्ध कराना.
- (ii) निरीक्षण के निष्कर्षों की समीक्षा करना और उपयुक्त उपायों के बारे में सुझाव देना.
- (iii) धोखाधड़ी और आतंरिक जाँच और नियंत्रण सम्बन्धी मामलों में पर्यवेक्षण विभाग, नाबार्ड द्वारा की गई अनुवर्ती कार्रवाई की समीक्षा करना.
- (iv) सहकारी बैंकों/ क्षेग्रा बैंकों के कामकाज जैसे अनर्जक अस्तियों, वसूली, निवेश पोर्टफोलियो, ऋण अनुप्रवर्तन व्यवस्थाओं, प्रबंधन पद्धतियों, धोखाधड़ी आदि विषयों में उभरती समस्याओं की पहचान करना, और आवश्यक अनुवर्ती कार्रवाई के संबंध में सुझाव देना.
- (v) नाबार्ड के निरीक्षण अधिकारियों को आवश्यक कौशल और जानकारी प्रदान करने हेतु उनके लिए उपयुक्त प्रशिक्षण के संबंध में सुझाव देना.
- (vi) पर्यवेक्षण विभाग के सुदृढीकरण के उपाय सुझाना.
- (vii) नाबार्ड को अपेक्षित शक्तियाँ प्रदान करने के लिए बैंककारी विनियमन अधिनियम, 1949 में उपयुक्त संशोधन का सुझाव देना.
- (viii) भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा निर्देश जारी करने के संबंध में अनुशंसा करना, निरीक्षण और निरीक्षण रिपोर्ट की गुणवत्ता पर नजर रखना.
- (ix) ऑफ़-साइट निगरानी और अन्य अनुपूरक साधनों से सामने आई सूचनाओं और उन पर की गई कार्रवाई की समीक्षा करना और उपयुक्त निर्देश जारी करना.
- (x) पर्यवेक्षण बोर्ड को संदर्भित अन्य मामलों को देखना.
- (xi) नाबार्ड के निदेशक बोर्ड द्वारा समय-समय पर सौंपे गए अन्य कृत्यों को सम्पादित करना.
पर्यवेक्षण बोर्ड की बैठकें और गणपूर्ति
पर्यवेक्षण बोर्ड की बैठक सामान्यतः प्रत्येक तिमाही में एक बार ऐसे स्थान पर आयोजित की जाएगी जिसका निर्णय अध्यक्ष या उनकी अनुपस्थिति में पर्यवेक्षण विभाग, नाबार्ड के प्रभारी उप प्रबंध निदेशक द्वारा समय-समय पर लिया जाएगा. बोर्ड के सदस्य-सचिव द्वारा अध्यक्ष या उनकी अनुपस्थिति में पर्यवेक्षण विभाग, नाबार्ड के प्रभारी उप प्रबंध निदेशक द्वारा समय-समय पर दिए गए अनुदेशों के अनुसार बैठकों का संयोजन किया जाएगा. सदस्यों को न्यूनतम 10 दिन पूर्व सूचित करना अपेक्षित है. बैठक की अध्यक्षता नाबार्ड के अध्यक्ष या उनकी अनुपस्थिति में पर्यवेक्षण विभाग, नाबार्ड के प्रभारी उप प्रबंध निदेशक द्वारा की जाएगी.
पर्यवेक्षण बोर्ड की बैठक के लिए गणपूर्ति 04 (02 सदस्य नाबार्ड के और 02 नाबार्ड के बाहर के) नियत की गई है.
नाबार्ड के निदेशक बोर्ड को रिपोर्ट
पर्यवेक्षण बोर्ड की बैठकों के कार्यवृत्त, की गई कार्रवाई की रिपोर्ट के साथ नाबार्ड के निदेशक बोर्ड के समक्ष प्रस्तुत किए जाते हैं. उक्त के अतिरिक्त, पर्यवेक्षण बोर्ड देश में क्षेग्रा बैंकों और सहकारी बैंकों के निरीक्षण के सुदृढीकरण तथा विभिन्न अन्य संगत मामलों से सम्बंधित अपने सुझावों और अपनी अनुशंसाओं को विचारार्थ नाबार्ड के निदेशक बोर्ड के समक्ष प्रस्तुत करता है.
पर्यवेक्षण बोर्ड की अवधि
पर्यवेक्षण बोर्ड नाबार्ड के प्रसाद-पर्यंत कार्य करेगा.
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(ix) |
विभाग के अधिकारियों और कर्मचारियों की निर्देशिका |
अधिकारियों और कर्मचारियों की निर्देशिका
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(x) |
विभाग के प्रत्येक अधिकारी और कर्मचारी द्वारा प्राप्त मासिक पारिश्रमिक, जिसके अंतर्गत प्रतिकर की प्रणाली भी है जो उसके विनियमों में यथा-उपबंधित हो. |
यहाँ क्लिक करें
|
(xi) |
सभी योजनाओं, प्रस्तावित व्ययों और किए गए संवितरणों पर रिपोर्टों के अलग-अलग विवरण उपदर्शित करते हुए विभाग के प्रत्येक अभिकरण (एजेंसी) को आबंटित बजट |
पर्यवेक्षण विभाग पर लागू नहीं |
(xii) |
सहायिकी (सब्सिडी) कार्यक्रमों के निष्पादन की रीति जिसमें आबंटित राशि और कार्यक्रमों के लाभार्थियों के ब्यौरे सम्मिलित हैं. |
पर्यवेक्षण विभाग पर लागू नहीं |
(xiii) |
विभाग द्वारा अनुदत्त रियायतों, अनुज्ञापत्रों (परमिटों) या प्राधिकारों के प्राप्तिकर्ताओं के अलग-अलग विवरण
|
पर्यवेक्षण विभाग पर लागू नहीं |
(xiv) |
किसी इलेक्ट्रोनिक रूप में सूचना के संबंध में ब्यौरे जो विभाग को उपलब्ध या विभाग द्वारा धारित हों.
|
परिपत्रों, निरीक्षण सम्बन्धी दिशानिर्देशों, मैनुअलों आदि की प्रतियाँ इलेक्ट्रोनिक रूप में रखी जाती हैं. |
(xv) |
सूचना अभिप्राप्त करने के लिए नागरिकों को उपलब्ध सुविधाओं के अलग-अलग विवरण जिनमें किसी पुस्तकालय या वाचन कक्ष के, यदि लोक उपयोग के लिए अनुरक्षित हैं तो, कार्यकरण घंटे सम्मिलित हैं. |
सूचना सार्वजानिक डोमेन www.nabard.org में नीचे दिए गए लिंक पर उपलब्ध है: यहाँ क्लिक करें |
(xvi) |
लोक (जन) सूचना अधिकारियों के नाम, पदनाम और अन्य अलग-अलग विवरण |
विवरण इस लिंक से प्राप्त किए जा सकते हैं: क्षेत्रीय कार्यालय लोकेटर
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(xvii) |
ऐसी अन्य विहित सूचना
(प्रत्येक वर्ष इन सूचनाओं को अद्यतन किया जाए.)
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विवरण इस लिंक से प्राप्त किए जा सकते हैं:
सूचना का अधिकार
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