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जलवायु कार्रवाई

जलवायु परिवर्तन के प्रभावों के शमन और अनुकूलन में संवर्धित और उचित जलवायु कार्रवाई संधारणीय विकास के लिए आवश्यक होती है. नाबार्ड के कार्यों और पहलों का संपूर्ण विस्तार, जो कि विश्व भर में अनोखा है, हरित और संधारणीय विकास पर ध्यान केंद्रित करता है.

कृषि, प्राकृतिक संसाधनों, और ग्रामीण विकास (एएनआर) क्षेत्र में नाबार्ड की पहले, कमजोर क्षेत्रों और समुदायों के लिए जलवायु कार्रवाई के महत्वपूर्ण घटको को भी शामिल करती हैं. जिसमे वाटरशेड विकास, जनजातीय विकास, आरआईडीएफ़ के तहत आधारभूत संरचना विकास, निडा, आदि जलवायु कार्रवाई परियोजनाए प्रमुख हैं. इन परियोजनाओं में प्रायः जलवायु अनुकूलता और संधारणीयता संबंधी घटक शामिल होते हैं.

नाबार्ड को, अडाप्टेशन फंड की एनआईई (NIE) और ग्रीन क्लाइमेट फंड (यूएनएफ़सीसीसी के जीसीएफ़) की डायरेक्ट एक्सैस एंटीटी (डीएई) होने की अद्वितीय मान्यता प्राप्त है. नाबार्ड, भारत सरकार द्वारा स्थापित जलवायु परिवर्तन के लिए राष्ट्रीय अनुकूलन निधि (एनएएफ़सीसी) की राष्ट्रीय कार्यान्वयन ईकाई (एनआईई) की भूमिका भी निभा रहा है. इन मान्यताओं ने नाबार्ड को देश में जलवायु परिवर्तन अनुकूलन कार्यक्रमों में अग्रणी बनने और जलवायु कार्रवाई पर राष्ट्र स्तरीय पहलों का एक अभिन्न अंग बनने में सक्षम बनाया है. इन निधियों के तहत एक मान्यता प्राप्त संस्था के रूप में नाबार्ड ने जलवायु कार्रवाई से संबंधित 257 मिलियन यूएस डॉलर्स परियोजना सहायता की 40 परियोजनाओं की मंजूरी और कार्यान्वयन में सहायता प्रदान की है,
इनमे निम्नलिखित शामिल हैं:

  • तत्काल अनुदान वाली 2 परियोजनाओं के अलावा 9.9 मिलियन यूएस डॉलर्स वाली अडाप्टेशन फंड की 6 परियोजनाएँ
  • एनएएफ़सीसी के तहत 100 मिलियन यूएस डॉलर्स से अधिक राशि की 30 परियोजनाएँ, और
  • जीसीएफ़ सहायता के तहत 134.35 मिलियन यूएस डॉलर्स वाली 2 परियोजनाएँ.

नाबार्ड की अन्य पहलों के साथ-साथ ये परियोजनाएँ जलवायु अनुकूलन और जलवायु परिवर्तन शमन के निर्माण की दिशा में महत्वपूर्ण प्रभाव डालती हैं.

नाबार्ड ने अपने संसाधनों से ₹ 20 करोड़ की समूह निधि के साथ एक समर्पित जलवायु परिवर्तन निधि (सीसीएफ़) का गठन किया है, जिससे विभिन्न हितधारकों के बीच जलवायु परिवर्तन पर जागरूकता-निर्माण को सहयोग प्रदान किया जा सके, और नवोन्मेषी जलवायु परिवर्तन अनुकूलन/ शमन पहलों एवं जलवायु अनुकूल आजीविकाओं को संवर्धित और प्रदर्शित किया जा सके.

वित्तीय वर्ष 2023-24 में नाबार्ड ने भारतीय रिजर्व बैंक के अनुमोदन से जलवायु परिवर्तन निधि-ब्याज अंतर (सीसीएफ़-आईडी) गठित की गई, जिससे अन्य बातों के साथ-साथ अनुकूलन पर ध्यान केंद्रित करते हुए नवोन्मेषी परियोजनाओं के साथ-साथ नए वित्तीय मॉडलों, सुलभ गतिविधियों को भी सहायता प्रदान किया जा सके.

नाबार्ड ने बर्ड, लखनऊ, उत्तर प्रदेश में एक जलवायु परिवर्तन केंद्र की स्थापना की है, जो ज्ञान साझा करने, प्रशिक्षण, हितधारकों के क्षमता निर्माण, नीति अनुशंसा, आदि में शामिल है.

“क्लाइमेट एडाप्टेशन, रेसिलिएन्स अँड क्लाइमेट फ़ाइनेंस रुरल इंडिया (सीएएफ़आरआई)” जीआईज़ेड और नाबार्ड के बीच एक और सहयोगात्मक पहल है. सीएएफ़आरआई के तहत जीआईज़ेड नाबार्ड को जलवायु अनुकूलता और क्षमता विकास हेतु नीति, आयोजना और कार्रवाई में सहयोग प्रदान करता है और साथ ही जलवायु वित्तपोषण को संवर्धित करता है.

सीएएफ़आरआई-I का पहला चरण 2020-2023 की अवधि के दौरान कार्यान्वित किया गया था. सीएएफ़आरआई-II का दूसरा चरण पर विचाराधीन है.

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