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अतुल्य भारत के अनमोल खजाने

भारत विविध रंगों, विचारों और भावों के अनुभवों और अनुभूतियों का अनोखा और अनुपम संगम है. देश के हर राज्य के अपने इतिहास ने उसे इस तरह ढाला है कि उसे एक अलग विशेषता प्राप्त हो गई है और वह अन्य राज्यों से भिन्न पहचान रखता है.

उत्पादों को दिया जाने वाला भौगोलिक संकेतक/ उपदर्शन (जीआई) टैग न केवल उत्पादों को प्रामाणिकता देता है बल्कि उन्हें अपने क्षेत्र के विशिष्ट गौरव की ऊँचाई भी देता है. इस पहचान का एक और प्रमाणित लाभ यह है कि इससे कला के दुर्लभ रूपों को पुनर्जीवन मिलता है और उन्हें उनका पुराना गौरव फिर से हासिल होता है. उत्पादों के बाजार मूल्य में वृद्धि के कारण कलाकारों और उत्पादकों की स्थिति भी बेहतर होती है. जीआई टैग मिलने से वे व्यापारियों के साथ मोलभाव करने के लिए भी बेहतर स्थिति में होते हैं.

नाबार्ड यह मानता है कि जीआई टैग का महत्त्व स्थानीय रूप से उत्पादित, विकसित और संपोषित उत्पादों को पहचान देने तक सीमित नहीं है. इससे क्षेत्र को अपना कुछ विशिष्ट रखने के साथ-साथ अपनी शानदार परंपरा को अक्षुण्ण रखने का अवसर भी मिलता है.

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